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य इन्द्रा॑य सु॒नव॒त्सोम॑म॒द्य पचा॑त्प॒क्तीरु॒त भृ॒ज्जाति॑ धा॒नाः। प्रति॑ मना॒योरु॒चथा॑नि॒ हर्य॒न्तस्मि॑न्दध॒द्वृष॑णं॒ शुष्म॒मिन्द्रः॑ ॥७॥

English Transliteration

ya indrāya sunavat somam adya pacāt paktīr uta bhṛjjāti dhānāḥ | prati manāyor ucathāni haryan tasmin dadhad vṛṣaṇaṁ śuṣmam indraḥ ||

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Pad Path

यः। इन्द्रा॑य। सु॒नव॑त्। सोम॑म्। अ॒द्य। पचा॑त्। प॒क्तीः। उ॒त। भृ॒ज्जाति॑। धा॒नाः। प्रति॑। म॒ना॒योः। उ॒चथा॑नि। हर्य॑न्। तस्मि॑न्। द॒ध॒त्। वृष॑णम्। शुष्म॑म्। इन्द्रः॑ ॥७॥

Rigveda » Mandal:4» Sukta:24» Mantra:7 | Ashtak:3» Adhyay:6» Varga:12» Mantra:2 | Mandal:4» Anuvak:3» Mantra:7


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SWAMI DAYANAND SARSWATI

फिर उसी विषय को अगले मन्त्र में कहते हैं ॥

Word-Meaning: - (यः) जो (इन्द्रः) राजा (अद्य) आज (इन्द्राय) सुख देनेवाले द्रव्य और ऐश्वर्य्ययुक्त के लिये (सोमम्) ऐश्वर्य्य को (सुनवत्) उत्पन्न करे (पक्तीः) पाकों को (पचात्) पकावे (उत) और (धानाः) यवों को (भृज्जाति) भूँजे (मनायोः) प्रशंसा की कामना करनेवाले की (उचथानि) रुचि करनेवालों की (हर्य्यन्) कामना करता हुआ (तस्मिन्) उसमें (वृषणम्) बल करनेवाले (शुष्मम्) बलयुक्त पुरुष को (प्रति, दधत्) धारण करे, वह बहुत जीतनेवाली सेना को प्राप्त होवे ॥७॥
Connotation: - जो राजपुरुष राज्य के लिये ऐश्वर्य्य को बल और सेना के लिये भोजन आदि सामग्रियों को धारण करें, वे प्रीतिकारक सुखों को प्राप्त होवें ॥७॥
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SWAMI DAYANAND SARSWATI

पुनस्तमेव विषयमाह ॥

Anvay:

य इन्द्रो राजाद्येन्द्राय सोमं सुनवत् पक्तीः पचादुतापि धाना भृज्जाति मनायोरुचथानि हर्य्यन् सँस्तस्मिन् वृषणं शुष्मं प्रति दधत् स पुष्कलां विजयिनीं सेनां प्राप्नुयात् ॥७॥

Word-Meaning: - (यः) (इन्द्राय) सुखप्रदात्रे द्रव्यैश्वर्य्याय (सुनवत्) निष्पादयेत् (सोमम्) ऐश्वर्य्यम् (अद्य) (पचात्) पचेत् (पक्तीः) पाकान् (उत) (भृज्जाति) भृज्जेत् (धानाः) यवाः (प्रति) (मनायोः) प्रशंसां कामयमानस्य (उचथानि) रुचिकराणि (हर्य्यन्) कामयमानः (तस्मिन्) (दधत्) धरेत् (वृषणम्) बलकरम् (शुष्मम्) बलिष्ठम् (इन्द्रः) राजा ॥७॥
Connotation: - ये राजपुरुषा राज्यायैश्वर्य्यं बलाय सेनायै च भोजनादिसामग्रीर्दध्युस्ते रुचितानि सुखानि लभेरन् ॥७॥
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MATA SAVITA JOSHI

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Connotation: - जे राजपुरुष राज्यासाठी ऐश्वर्य, बल व सेनेसाठी भोजन इत्यादी सामग्री धारण करतात त्यांना इच्छित सुख मिळावे. ॥ ७ ॥