यो दे॒वो दे॒वत॑मो॒ जाय॑मानो म॒हो वाजे॑भिर्म॒हद्भि॑श्च॒ शुष्मैः॑। दधा॑नो॒ वज्रं॑ बा॒ह्वोरु॒शन्तं॒ द्याममे॑न रेजय॒त्प्र भूम॑ ॥३॥
yo devo devatamo jāyamāno maho vājebhir mahadbhiś ca śuṣmaiḥ | dadhāno vajram bāhvor uśantaṁ dyām amena rejayat pra bhūma ||
यः। दे॒वः। दे॒वऽत॑मः। जाय॑मानः। म॒हः। वाजे॑भिः। म॒हत्ऽभिः॑। च॒। शुष्मैः॑। दधा॑नः। वज्र॑म्। बा॒ह्वोः। उशन्त॑म्। द्याम्। अमे॑न। रे॒ज॒य॒त्। प्र। भूम॑ ॥३॥
SWAMI DAYANAND SARSWATI
फिर उसी विषय को अगले मन्त्र में कहते हैं ॥
SWAMI DAYANAND SARSWATI
पुनस्तमेव विषयमाह ॥
हे मनुष्या ! यो महद्भिर्वाजेभिश्च शुष्मैस्सह महो जायमानो देवो देवतमो राजा बाह्वोर्वज्रं दधानोऽमेन सूर्य्यो द्यां भूम च यथा प्र रेजयत् तथोशन्तं कामयमानं शत्रुं कम्पयते तमस्माकं सुखं कामयमानं वयं वृणुयाम ॥३॥
MATA SAVITA JOSHI
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