Go To Mantra

धि॒षा यदि॑ धिष॒ण्यन्तः॑ सर॒ण्यान्त्सद॑न्तो॒ अद्रि॑मौशि॒जस्य॒ गोहे॑। आ दु॒रोषाः॑ पा॒स्त्यस्य॒ होता॒ यो नो॑ म॒हान्त्सं॒वर॑णेषु॒ वह्निः॑ ॥६॥

English Transliteration

dhiṣā yadi dhiṣaṇyantaḥ saraṇyān sadanto adrim auśijasya gohe | ā duroṣāḥ pāstyasya hotā yo no mahān saṁvaraṇeṣu vahniḥ ||

Mantra Audio
Pad Path

धि॒षा। यदि॑। धि॒ष॒ण्यन्तः॑। स॒र॒ण्यान्। सद॑न्तः। अद्रि॑म्। औ॒शिजस्य॑। गोहे॑। आ। दु॒रोषाः॑। पा॒स्त्यस्य॑। होता॑। यः। नः॒। म॒हान्। स॒म्ऽवर॑णेषु। वह्निः॑ ॥६॥

Rigveda » Mandal:4» Sukta:21» Mantra:6 | Ashtak:3» Adhyay:6» Varga:6» Mantra:1 | Mandal:4» Anuvak:2» Mantra:6


Reads times

SWAMI DAYANAND SARSWATI

अब राजा के साथ प्रजाजनों के विषय को अगले मन्त्र में कहते हैं ॥

Word-Meaning: - हे मनुष्यो ! (यः) जो (नः) हम लोगों के (पास्त्यस्य) गृह में उत्पन्न हुए के (संवरणेषु) आच्छादक अर्थात् ढाँपनेवाले व्यवहारों में (वह्निः) पदार्थ पहुँचानेवाले अग्नि के सदृश (महान्) बड़ा (दुरोषाः) क्रोध से रहित (होता) देनेवाला हो (यदि) जो उसके (अद्रिम्) मेघ के सदृश (औशिजस्य) कामना करनेवाले के सन्तान के (गोहे) ढाँपने योग्य गृह में (धिषण्यन्तः) स्तुति करते और (सरण्यान्) सरण्यान् अर्थात् सन्मार्ग को प्राप्त जनों को (आ, सदन्तः) निवास देते हुए (धिषा) स्तुति अर्थात् प्रशंसा के साथ आप लोग ग्रहण करो तो आप लोगों को सब सुख प्राप्त होवे ॥६॥
Connotation: - इस मन्त्र में वाचकलुप्तोपमालङ्कार है। जो राजा आदि मनुष्य प्रशंसित पुरुषों की प्रशंसा करावें =करें और प्राप्त हुए पुरुषों की रक्षा करें तो वे श्रेष्ठ होवें ॥६॥
Reads times

SWAMI DAYANAND SARSWATI

अथ राज्ञा सह प्रजाजनविषयमाह ॥

Anvay:

हे मनुष्या ! यो नः पास्त्यस्य संवरणेषु वह्निरिव महान् दुरोषा होता भवेद्यदि तमद्रिमिवौशिजस्य गोहे धिषण्यन्तः सरण्यानासदन्तो धिषा यूयं गृह्णीत तर्हि युष्मान्त्सर्वं सुखम्प्राप्नुयात् ॥६॥

Word-Meaning: - (धिषा) स्तुत्या (यदि) (धिषण्यन्तः) स्तुवन्तः (सरण्यान्) सरणं प्राप्तान् (सदन्तः) निवासयन्तः (अद्रिम्) मेघमिव (औशिजस्य) कामयमानाऽपत्यस्य (गोहे) संवरणीये गृहे (आ) (दुरोषाः) दुर्गतो दूरीभूत ओषः क्रोधो यस्य सः (पास्त्यस्य) गृहे भवस्य (होता) दाता (यः) (नः) अस्माकम् (महान्) (संवरणेषु) आच्छादकेषु व्यवहारेषु (वह्निः) वोढाग्निरिव ॥६॥
Connotation: - अत्र वाचकलुप्तोपमालङ्कारः। यदि राजादयो मनुष्याः प्रशंसितान् प्रशंसयेयुः प्राप्तान् रक्षेयुस्तर्हि ते महान्तो भवेयुः ॥६॥
Reads times

MATA SAVITA JOSHI

N/A

Word-Meaning: - N/A
Connotation: - या मंत्रात वाचकलुप्तोपमालंकार आहे. जे राजे इत्यादी प्रशंसित पुरुषांची प्रशंसा करतात व जवळ असलेल्यांचे रक्षण करतात तेव्हाच ते श्रेष्ठ होतात. ॥ ६ ॥