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गि॒रिर्न यः स्वत॑वाँ ऋ॒ष्व इन्द्रः॑ स॒नादे॒व सह॑से जा॒त उ॒ग्रः। आद॑र्ता॒ वज्रं॒ स्थवि॑रं॒ न भी॒म उ॒द्नेव॒ कोशं॒ वसु॑ना॒ न्यृ॑ष्टम् ॥६॥

English Transliteration

girir na yaḥ svatavām̐ ṛṣva indraḥ sanād eva sahase jāta ugraḥ | ādartā vajraṁ sthaviraṁ na bhīma udneva kośaṁ vasunā nyṛṣṭam ||

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Pad Path

गि॒रिः। न। यः। स्वऽत॑वान्। ऋ॒ष्वः। इन्द्रः॑। स॒नात्। ए॒व। सह॑से। जा॒तः। उ॒ग्रः। आऽद॑र्ता। वज्र॑म्। स्थवि॑रम्। न। भी॒मः। उ॒द्नाऽइ॑व। कोश॑म्। वसु॑ना। निऽऋ॑ष्टम् ॥६॥

Rigveda » Mandal:4» Sukta:20» Mantra:6 | Ashtak:3» Adhyay:6» Varga:4» Mantra:1 | Mandal:4» Anuvak:2» Mantra:6


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SWAMI DAYANAND SARSWATI

फिर उसी विषय को अगले मन्त्र में कहते हैं ॥

Word-Meaning: - हे मनुष्यो ! (यः) जो (गिरिः) मेघ के (न) सदृश (स्वतवान्) अपने गुणों से वृद्ध (ऋष्वः) बड़ा (सनात्) सब काल में (एव) ही (सहसे) बल के लिये (जातः) प्रसिद्ध (उग्रः) तीव्र स्वभावयुक्त (इन्द्रः) सूर्य्य के समान प्रतापी (स्थविरम्) स्थूल (वज्रम्) बिजुलीरूप के (न) समान (आदर्त्ता) सब प्रकार से शत्रुओं का नाश करनेवाला (भीमः) भयङ्कर और (कोशम्) मेघ को (उद्नेव) जलों के सदृश (वसुना) धन से (न्यृष्टम्) अत्यन्त प्राप्त करता है, वही विजयी होने के योग्य होता है ॥६॥
Connotation: - इस मन्त्र में उपमालङ्कार है । हे मनुष्यो ! जो मेघ के सदृश बड़ा प्रजाओं का सुख करने और सनातनधर्म्म का सेवन करनेवाला, बिजुली के सदृश भयंकर, नहीं नाश होनेवाले खजाने से युक्त, शत्रुओं का नाश करनेवाला और बलवान् होवे, वह सब का राजा होने को योग्य है, ऐसा जानिये ॥६॥
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SWAMI DAYANAND SARSWATI

पुनस्तमेव विषयमाह ॥

Anvay:

हे मनुष्या ! यो गिरिर्न स्वतवानृष्वः सनादेव सहसे जात उग्र इन्द्रः स्थविरं वज्रं नादर्त्ता भीमः कोशमुद्नेव वसुना न्यृष्टं करोति स एव विजयी भवितुमर्हति ॥६॥

Word-Meaning: - (गिरिः) मेघः (न) इव (यः) (स्वतवान्) स्वैर्गृणैर्वृद्धः (ऋष्वः) महान् (इन्द्रः) सूर्य इव प्रतापी (सनात्) सदा (एव) (सहसे) बलाय (जातः) प्रसिद्धः (उग्रः) तीव्रस्वभावः (आदर्त्ता) समन्ताच्छत्रूणां विदारकः (वज्रम्) विद्युद्रूपम् (स्थविरम्) स्थूलम् (न) इव (भीमः) भयङ्करः (उद्नेव) जलानीव (कोशम्) मेघम् (वसुना) धनेन (न्यृष्टम्) नितरां प्राप्तम् ॥६॥
Connotation: - अत्रोपमालङ्कारः । हे मनुष्या ! यो मेघ इव महान् प्रजासुखकरः सनातनधर्म्मसेवी विद्युद्वद्भयङ्करोऽक्षयकोशः शत्रुविनाशको बलवान् भवेत् स सर्वस्य राजा भवितुमर्हेदिति विजानीत ॥६॥
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MATA SAVITA JOSHI

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Connotation: - या मंत्रात उपमालंकार आहे. हे माणसांनो ! जो मेघासारखा महान, प्रजेला सुख देणारा व सनातन धर्माचे सेवन करणारा विद्युतप्रमाणे भयंकर, अक्षय खजिन्याने युक्त, शत्रूंचा नाश करणारा व बलवान असेल तर तो सर्वांचा राजा होण्यायोग्य आहे, हे जाणा. ॥ ६ ॥