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कस्ते॑ मा॒तरं॑ वि॒धवा॑मचक्रच्छ॒युं कस्त्वाम॑जिघांस॒च्चर॑न्तम्। कस्ते॑ दे॒वो अधि॑ मार्डी॒क आ॑सी॒द्यत्प्राक्षि॑णाः पि॒तरं॑ पाद॒गृह्य॑ ॥१२॥

English Transliteration

kas te mātaraṁ vidhavām acakrac chayuṁ kas tvām ajighāṁsac carantam | kas te devo adhi mārḍīka āsīd yat prākṣiṇāḥ pitaram pādagṛhya ||

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Pad Path

कः। ते॒। मा॒तर॑म्। वि॒धवा॑म्। अ॒च॒क्र॒त्। श॒युम्। कः। त्वाम्। अ॒जि॒घां॒स॒त्। चर॑न्तम्। कः। ते॒। दे॒वः। अधि॑। मा॒र्डी॒के। आ॒सी॒त्। यत्। प्र। अक्षि॑णाः। पि॒तर॑म्। पा॒द॒ऽगृह्य॑ ॥१२॥

Rigveda » Mandal:4» Sukta:18» Mantra:12 | Ashtak:3» Adhyay:5» Varga:26» Mantra:7 | Mandal:4» Anuvak:2» Mantra:12


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SWAMI DAYANAND SARSWATI

फिर उसी विषय को अगले मन्त्र में कहते हैं ॥

Word-Meaning: - हे पुत्र ! (ते) आपकी (मातरम्) माता को (विधवाम्) पतिहीन (कः) कौन (अचक्रत्) करता है (कः) कौन (चरन्तम्) विहार वा (शयुम्) शयन करते हुए (त्वाम्) आपको (अजिघांसत्) मारने की इच्छा करता है (कः) कौन (ते) आपके (देवः) श्रेष्ठ गुणवाला (मार्डीके) सुख करने में (अधि) सर्वोपरि (आसीत्) विराजमान हुआ है (पादगृह्य) हे पैरों को ग्रहण करने योग्य ! (यत्) जो आपके (पितरम्) उत्पन्न करनेवाले को (प्र, अक्षिणाः) नाश करता है ॥१२॥
Connotation: - हे सन्तानो ! जो पुरुष वा स्त्रियाँ आप लोगों के पितरों का नाश करके माताओं को विधवा करें और आप लोगों का भी नाश करें, उनका विश्वास आप लोग न करिये ॥१२॥
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SWAMI DAYANAND SARSWATI

पुनस्तमेव विषयमाह ॥

Anvay:

हे पुत्र ! ते मातरं विधवां कोऽचक्रत् कश्चरन्तं शयुं त्वामजिघांसत् कस्ते देवो मार्डीकेऽध्यासीत् पादगृह्य यद्यस्ते पितरं प्राऽक्षिणाः ॥१२॥

Word-Meaning: - (कः) (ते) तव (मातरम्) (विधवाम्) विगतो धवः पतिर्यस्यास्ताम् (अचक्रत्) करोति (शयुम्) यः शेते तम् (कः) (त्वाम्) (अजिघांसत्) हन्तुमिच्छति (चरन्तम्) विहरन्तम् (कः) (ते) (देवः) दिव्यगुणः (अधि) उपरि (मार्डीके) सुखकरे (आसीत्) (यत्) यः (प्र) (अक्षिणाः) क्षयति हन्ति (पितरम्) जनकम् (पादगृह्य) पादान् ग्रहीतुं योग्यः ॥१२॥
Connotation: - हे सन्ताना ! ये या वा युष्माकं पितॄन् हत्वा मातॄर्विधवाः कुर्य्युर्युष्मानपि घ्नन्तु तेषां विश्वासं यूयं मा कुरुत ॥१२॥
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MATA SAVITA JOSHI

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Connotation: - हे संतानांनो ! जे पुरुष किंवा स्त्रिया तुमच्या पितराचा नाश करतात, त्यांच्यावर विश्वास ठेवू नका. ॥ १२ ॥