Go To Mantra

य एक॒ इच्च्या॒वय॑ति॒ प्र भूमा॒ राजा॑ कृष्टी॒नां पु॑रुहू॒त इन्द्रः॑। स॒त्यमे॑न॒मनु॒ विश्वे॑ मदन्ति रा॒तिं दे॒वस्य॑ गृण॒तो म॒घोनः॑ ॥५॥

English Transliteration

ya eka ic cyāvayati pra bhūmā rājā kṛṣṭīnām puruhūta indraḥ | satyam enam anu viśve madanti rātiṁ devasya gṛṇato maghonaḥ ||

Mantra Audio
Pad Path

यः। एकः॑। इत्। च्य॒वय॑ति। प्र। भू॑म। राजा॑। कृ॒ष्टी॒नाम्। पु॒रु॒ऽहू॒तः। इन्द्रः॑। स॒त्यम्। ए॒न॒म्। अनु॑। विश्वे॑। म॒द॒न्ति॒। रा॒तिम्। दे॒वस्य॑। गृ॒ण॒तः। म॒घोनः॑ ॥५॥

Rigveda » Mandal:4» Sukta:17» Mantra:5 | Ashtak:3» Adhyay:5» Varga:21» Mantra:5 | Mandal:4» Anuvak:2» Mantra:5


Reads times

SWAMI DAYANAND SARSWATI

फिर राजविषय को अगले मन्त्र में कहते हैं ॥

Word-Meaning: - (यः) जो (पुरुहूतः) बहुतों से बुलाया और प्रशंसा किया गया (इन्द्रः) अत्यन्त ऐश्वर्यवान् (कृष्टीनाम्) क्षेत्र बोनेवाले आदि प्रजास्थ मनुष्यों का (राजा) उत्तम गुणों से प्रकाशमान राजा (एकः) एक (इत्) ही शत्रुओं को (प्र, च्यावयति) कम्पाता है उसको (मघोनः) बहुत धन से युक्त श्रेष्ठ पुरुषों के समूह के मध्य में (गृणतः) सम्पूर्ण विद्या की स्तुति करते हुए (देवस्य) दिव्यगुणी विद्वानों के समूह में वर्त्तमान (सत्यम्) श्रेष्ठों में साधु (रातिम्) दाता जन को (विश्वे) सम्पूर्ण विद्वान् सभासद् (अनु, मदन्ति) अनुमति देते हैं उस (एनम्) इसको राजा करके हम लोग सुखी (भूम) होवें ॥५॥
Connotation: - वही राजा हो सकता है, जो एक भी बहुत शत्रुओं को जीत सकता है और वही विजयी होता है, जो श्रेष्ठ पुरुषों के सङ्ग और उपदेश को प्राप्त होकर धर्मयुक्त न्याय निरन्तर करता है ॥५॥
Reads times

SWAMI DAYANAND SARSWATI

पुना राजविषयमाह ॥

Anvay:

यः पुरुहूत इन्द्रः कृष्टीनां राजैक इच्छत्रून् प्र च्यावयति तं मघोनो गृणतो देवस्य मध्ये वर्त्तमानं सत्यं रातिं विश्वे विद्वांसः सभासदोऽनुमदन्ति तमेनं राजानं कृत्वा वयं सुखिनो भूम ॥५॥

Word-Meaning: - (यः) (एकः) (इत्) एव (च्यावयति) (प्र) (भूम) भवेम। अत्र द्व्यचोऽतस्तिङ इति दीर्घः। (राजा) शुभगुणैः प्रकाशमानः (कृष्टीनाम्) कृषीवलादिप्रजास्थमनुष्याणाम् (पुरुहूतः) बहुभिराहूतः प्रशंसितः (इन्द्रः) परमैश्वर्य्यवान् (सत्यम्) सत्सु साधुम् (एनम्) (अनु) (विश्वे) सर्वे (मदन्ति) (रातिम्) दातारम् (देवस्य) दिव्यगुणसम्पन्नस्य (गृणतः) सकलविद्याः स्तुवतः (मघोनः) बहुधनयुक्तस्य सभ्यसमूहस्य मध्ये ॥५॥
Connotation: - स एव राजा भवितुमर्हति य एकोऽपि बहूञ्छत्रून् विजेतुं शक्नोति स एव विजयी भवति यः सत्पुरुषाणां सङ्गमुपदेशं प्राप्य धर्म्यं न्यायं सततं करोति ॥५॥
Reads times

MATA SAVITA JOSHI

N/A

Word-Meaning: - N/A
Connotation: - जो एकटाच पुष्कळ शत्रूंना जिंकू शकतो तोच राजा होऊ शकतो. जो श्रेष्ठ पुरुषांच्या संगतीने व उपदेशाने सतत धर्मयुक्त न्याय करतो, तोच विजयी होतो. ॥ ५ ॥