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अव॑ स्य शू॒राध्व॑नो॒ नान्ते॒ऽस्मिन्नो॑ अ॒द्य सव॑ने म॒न्दध्यै॑। शंसा॑त्यु॒क्थमु॒शने॑व वे॒धाश्चि॑कि॒तुषे॑ असु॒र्या॑य॒ मन्म॑ ॥२॥

English Transliteration

ava sya śūrādhvano nānte smin no adya savane mandadhyai | śaṁsāty uktham uśaneva vedhāś cikituṣe asuryāya manma ||

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Pad Path

अव॑। स्य॒। शू॒र॒। अध्व॑नः। न। अन्ते॑। अ॒स्मिन्। नः॒। अ॒द्य। सव॑ने। म॒न्दध्यै॑। शंसा॑ति। उ॒क्थम्। उ॒शना॑ऽइव। वे॒धाः। चि॒कि॒तुषे॑। अ॒सु॒र्या॑य। मन्म॑ ॥२॥

Rigveda » Mandal:4» Sukta:16» Mantra:2 | Ashtak:3» Adhyay:5» Varga:17» Mantra:2 | Mandal:4» Anuvak:2» Mantra:2


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SWAMI DAYANAND SARSWATI

फिर राजविषय को अगले मन्त्र में कहते हैं ॥

Word-Meaning: - हे (शूर) शत्रुओं के नाशक ! जो (अस्मिन्) इस (सवने) क्रियाविशेषरूप यज्ञ में (अद्य) आज (मन्दध्यै) आनन्द करने को (नः) हम लोगों के (उशनेव) सदृश कामना करता हुआ (वेधाः) बुद्धिमान् जन (उक्थम्) कहने योग्य शास्त्र और (मन्म) विज्ञान को (शंसाति) प्रशंसित करे (असुर्याय) अविद्वानों में उत्पन्न अविद्वान् पुरुष के लिये (चिकितुषे) जनाने को हम लोगों के क्रियाविशेष यज्ञ में (अन्ते) समीप में प्रशंसित करे, उस (अध्वनः) मार्ग के जानेवाले को आप (न) न (अव) विरोध में (स्य) अन्त को प्राप्त कराओ ॥२॥
Connotation: - हे राजन् ! जो बुद्धिमान् सब से विद्याओं की कामना करते हुए उपदेशक हों, उनकी निरन्तर रक्षा करो ॥२॥
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SWAMI DAYANAND SARSWATI

पुना राजविषयमाह ॥

Anvay:

हे शूर ! योऽस्मिन् सवनेऽद्य मन्दध्यै नोऽस्मानुशनेव वेधा उक्थं मन्म शंसात्यसुर्य्याय चिकितुषे नः सवनेऽन्ते शंसाति तमध्वनो गन्तारं त्वं नाव स्य ॥२॥

Word-Meaning: - (अव) विरोधे (स्य) अन्तं प्रापय (शूर) शत्रूणां हिंसक (अध्वनः) मार्गस्य (न) निषेधे (अन्ते) समीपे (अस्मिन्) (नः) अस्माकम् (अद्य) (सवने) क्रियाविशेषयज्ञे (मन्दध्यै) मन्दितुमानन्दितुम् (शंसाति) शंसेत (उक्थम्) वक्तुं योग्यं शास्त्रम् (उशनेव) यथाकामाः (वेधाः) मेधावी (चिकितुषे) विज्ञापनाय (असुर्याय) असुरेष्वविद्वत्सु भवायाविदुषे (मन्म) विज्ञानम् ॥२॥
Connotation: - हे राजन् ! ये धीमन्तः सर्वेभ्यो विद्याः कामयमाना उपदेशका भवेयुस्तान् सततं रक्ष ॥२॥
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MATA SAVITA JOSHI

N/A

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Connotation: - हे राजा ! जे बुद्धिमान लोक सर्वांच्या विद्येची कामना बाळगून उपदेशक बनतात त्यांचे निरंतर रक्षण कर. ॥ २ ॥