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यं सी॒मकृ॑ण्व॒न्तम॑से वि॒पृचे॑ ध्रु॒वक्षे॑मा॒ अन॑वस्यन्तो॒ अर्थ॑म्। तं सूर्यं॑ ह॒रितः॑ स॒प्त य॒ह्वीः स्पशं॒ विश्व॑स्य॒ जग॑तो वहन्ति ॥३॥

English Transliteration

yaṁ sīm akṛṇvan tamase vipṛce dhruvakṣemā anavasyanto artham | taṁ sūryaṁ haritaḥ sapta yahvīḥ spaśaṁ viśvasya jagato vahanti ||

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Pad Path

यम्। सी॒म्। अकृ॑ण्वन्। तम॑से। वि॒ऽपृचे॑। ध्रु॒वऽक्षे॑माः। अन॑वऽस्यन्तः। अर्थ॑म्। तम्। सूर्य॑म्। ह॒रितः॑। स॒प्त। य॒ह्वीः। स्पश॑म्। विश्व॑स्य। जग॑तः। व॒ह॒न्ति॒ ॥३॥

Rigveda » Mandal:4» Sukta:13» Mantra:3 | Ashtak:3» Adhyay:5» Varga:13» Mantra:3 | Mandal:4» Anuvak:2» Mantra:3


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SWAMI DAYANAND SARSWATI

फिर उसी विषय को अगले मन्त्र में कहते हैं ॥

Word-Meaning: - हे मनुष्यो ! (यम्) जिस (अर्थम्) पदार्थरूप सूर्य को (अनवस्यन्तः) न सेवते और क्रिया करते हुए (ध्रुवक्षेमाः) निश्चित रक्षण करनेवाले जन (तमसे) अन्धकार के अर्थ (विपृचे) वियोग करने के लिये (सीम्) सब ओर से (अकृण्वन्) निश्चित करते हैं (तम्) उस (विश्वस्य) सम्पूर्ण (जगतः) संसार के (स्पशम्) बाँधनेवाले (सूर्य्यम्) सूर्य्य को (सप्त) सात (यह्वीः) बड़ी (हरितः) दिशाओं को (वहन्ति) प्राप्त कराते हैं, वैसे ही उत्तम गुणों को प्राप्त कराओ ॥३॥
Connotation: - हे मनुष्यो ! जैसे किरणें सूर्य्य को अन्धकार के दूर करने के लिये धारण करती हैं, वैसे ही सम्पूर्ण जगत् की अविद्या दूर करने के लिये और विद्या की रक्षा के लिये सब प्रकार सत्य के उपदेश करो ॥३॥
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SWAMI DAYANAND SARSWATI

पुनस्तमेव विषयमाह ॥

Anvay:

हे मनुष्या ! यमर्थमनवस्यन्तो ध्रुवक्षेमास्तमसे विपृचे सीमकृण्वँस्तं विश्वस्य जगतः स्पशं सूर्य्यं सप्त यह्वीर्हरितो वहन्तीव शुभगुणान् वहन्तु प्रापयन्तु ॥३॥

Word-Meaning: - (यम्) (सीम्) सर्वतः (अकृण्वन्) कुर्वन्ति (तमसे) अन्धकाराय (विपृचे) वियोजनाय (ध्रुवक्षेमाः) ध्रुवं क्षेमं रक्षणं येषान्ते (अनवस्यन्तः) अपरिचरन्तः कुर्वन्तः (अर्थम्) द्रव्यम् (तम्) (सूर्य्यम्) (हरितः) दिश इव व्याप्ताः किरणाः। हरित इति दिङ्नामसु पठितम्। (निघं०१.६) (सप्त) (यह्वीः) महत्यः (स्पशम्) बन्धकम् (विश्वस्य) सर्वस्य (जगतः) (वहन्ति) प्रापयन्ति ॥३॥
Connotation: - हे मनुष्या ! यथा किरणाः सूर्यं तमोनिवारणाय वहन्ति तथैव सर्वस्य जगतोऽविद्यानिवारणाय विद्यारक्षणाय च सर्वथा सत्योपदेशान् कुर्वन्तु ॥३॥
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MATA SAVITA JOSHI

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Connotation: - हे माणसांनो! जशी किरणे सूर्याला अंधकार दूर करण्यासाठी धारण करतात. तसेच संपूर्ण जगाची अविद्या दूर करण्यासाठी व विद्येचे रक्षण करण्यासाठी सर्व प्रकारे सत्याचा उपदेश करा. ॥ ३ ॥