भ॒द्रं ते॑ अग्ने सहसि॒न्ननी॑कमुपा॒क आ रो॑चते॒ सूर्य॑स्य। रुश॑द्दृ॒शे द॑दृशे नक्त॒या चि॒दरू॑क्षितं दृ॒श आ रू॒पे अन्न॑म् ॥१॥
bhadraṁ te agne sahasinn anīkam upāka ā rocate sūryasya | ruśad dṛśe dadṛśe naktayā cid arūkṣitaṁ dṛśa ā rūpe annam ||
भ॒द्रम्। ते॒। अ॒ग्ने॒। स॒ह॒सि॒न्। अनीक॑म्। उ॒पा॒के। आ। रो॒च॒ते॒। सूर्य॑स्य। रुश॑त्। दृ॒शे। द॒दृ॒शे॒। न॒क्त॒ऽया। चि॒त्। अरू॑क्षितम्। दृ॒शे। आ। रू॒पे। अन्न॑म् ॥१॥
SWAMI DAYANAND SARSWATI
अब अग्नि की सदृशता से राजगुणों को कहते हैं ॥
SWAMI DAYANAND SARSWATI
अथाग्निसादृश्येन राजगुणानाह ॥
हे सहसिन्नग्ने ! यस्य त उपाके भद्रं रुशदनीकं सूर्य्यस्य किरणा इवारोचते नक्तया रात्र्या सहितश्चन्द्र इव ददृशे चिदपि सुखं दृशेऽरूक्षितमन्नं दृशे रूप आ रोचते तस्य तव सर्वत्र विजय इति निश्चयः ॥१॥
MATA SAVITA JOSHI
या सूक्तात अग्नी, राजा, विद्वान पुरुषाच्या गुणांचे वर्णन असल्यामुळे या सूक्ताच्या अर्थाची पूर्व सूक्तार्थाबरोबर संगती जाणावी.