Go To Mantra

अग्ने॒ तम॒द्याश्वं॒ न स्तोमैः॒ क्रतुं॒ न भ॒द्रं हृ॑दि॒स्पृश॑म्। ऋ॒ध्यामा॑ त॒ ओहैः॑ ॥१॥

English Transliteration

agne tam adyāśvaṁ na stomaiḥ kratuṁ na bhadraṁ hṛdispṛśam | ṛdhyāmā ta ohaiḥ ||

Mantra Audio
Pad Path

अग्ने॑। तम्। अ॒द्य। अश्व॑म्। न। स्तोमैः॑। क्रतु॑म्। न। भ॒द्रम्। हृ॒दि॒ऽस्पृश॑म्। ऋ॒ध्याम॑। ते॒। ओहैः॑॥१॥

Rigveda » Mandal:4» Sukta:10» Mantra:1 | Ashtak:3» Adhyay:5» Varga:10» Mantra:1 | Mandal:4» Anuvak:1» Mantra:1


Reads times

SWAMI DAYANAND SARSWATI

अब आठ ऋचावाले दशवें सूक्त का आरम्भ है, उसके प्रथम मन्त्र में अग्निशब्दार्थविषयक विद्वद्विषय को अगले मन्त्र में कहते हैं ॥

Word-Meaning: - हे (अग्ने) विद्वन् ! हम लोग (ओहैः) नम्रतायुक्त कर्मों और (स्तोमैः) प्रशंसाओं से (ते) आपके (अद्य) आज (अश्वम्) घोड़े के (न) सदृश और (क्रतुम्) बुद्धि के (न) सदृश जिस (हृदिस्पृशम्) हृदय को प्रिय और (भद्रम्) कल्याण करनेवालों की (ऋध्याम) समृद्धि करें (तम्) उसकी आप हम लोगों के लिये समृद्धि करो ॥१॥
Connotation: - इस मन्त्र में उपमालङ्कार है। मनुष्य जैसे घोड़े से मार्ग को शीघ्र जा सकते हैं, वैसे श्रेष्ठ बुद्धि को प्राप्त होकर मोक्षमार्ग को शीघ्र पाने के योग्य हैं ॥१॥
Reads times

SWAMI DAYANAND SARSWATI

अथाग्निशब्दार्थविषयकं विद्वद्विषयमाह ॥

Anvay:

हे अग्ने ! वयमोहैः स्तोमैस्तेऽद्याश्वं न क्रतुं न यं हृदिस्पृशं भद्रमृध्याम तं त्वमस्मदर्थमृध्नुहि ॥१॥

Word-Meaning: - हे (अग्ने) विद्वन् ! (तम्) (अद्य) (अश्वम्) (न) इव (स्तोमैः) प्रशंसनैः (क्रतुम्) प्रज्ञाम् (न) इव (भद्रम्) कल्याणकरम् (हृदिस्पृशम्) हृदयस्य प्रियम् (ऋध्याम) समृध्याम (ते) तव (ओहैः) अर्दकैः कर्मभिः ॥१॥
Connotation: - अत्रोपमालङ्कारः। मनुष्या यथाऽश्वेन मार्गं गन्तुं सद्यः शक्नुवन्ति तथा भद्रां धियं प्राप्य मोक्षमार्गं शीघ्रं प्राप्तुमर्हन्ति ॥१॥
Reads times

MATA SAVITA JOSHI

या सूक्तात अग्नी, राजा, मंत्री व प्रजा यांच्या कृत्याचे वर्णन असल्यामुळे या सूक्ताच्या अर्थाची पूर्व सूक्तार्थाबरोबर संगती जाणली पाहिजे.

Word-Meaning: - N/A
Connotation: - या मंत्रात उपमालंकार आहे. माणसे जशी घोड्याद्वारे तात्काळ मार्गक्रमण करू शकतात, तशी श्रेष्ठ माणसे बुद्धी प्राप्त करून मोक्षमार्गाला शीघ्र प्राप्त करू शकतात. ॥ १ ॥