Go To Mantra

त्वं नो॑ अग्ने॒ वरु॑णस्य वि॒द्वान्दे॒वस्य॒ हेळोऽव॑ यासिसीष्ठाः। यजि॑ष्ठो॒ वह्नि॑तमः॒ शोशु॑चानो॒ विश्वा॒ द्वेषां॑सि॒ प्र मु॑मुग्ध्य॒स्मत् ॥४॥

English Transliteration

tvaṁ no agne varuṇasya vidvān devasya heḻo va yāsisīṣṭhāḥ | yajiṣṭho vahnitamaḥ śośucāno viśvā dveṣāṁsi pra mumugdhy asmat ||

Mantra Audio
Pad Path

त्वम्। नः॒। अ॒ग्ने॒। वरु॑णस्य। वि॒द्वान्। दे॒वस्य॑। हेळः॑। अव॑। या॒सि॒सी॒ष्ठाः॒। यजि॑ष्ठः। वह्नि॑ऽतमः। शोशु॑चानः। विश्वा॑। द्वेषां॑सि। प्र। मु॒मु॒ग्धि॒। अ॒स्मत्॥४॥

Rigveda » Mandal:4» Sukta:1» Mantra:4 | Ashtak:3» Adhyay:4» Varga:12» Mantra:4 | Mandal:4» Anuvak:1» Mantra:4


Reads times

SWAMI DAYANAND SARSWATI

फिर उसी विषय को अगले मन्त्र में कहते हैं ॥

Word-Meaning: - हे (अग्ने) अग्नि के सदृश विद्वान् पुरुष (विद्वान्) विद्यायुक्त (त्वम्) आप (वरुणस्य) श्रेष्ठ (देवस्य) विद्या के प्रकाश करनेवाले के (हेळः) आदररहित होते हैं जिसमें उसके (अव) निवारण में (यासिसीष्ठाः) प्रेरणा करो और (यजिष्ठः) अत्यन्त यज्ञ करने और (वह्नितमः) अत्यन्त पहुँचानेवाले (नः) हम लोगों के प्रति (शोशुचानः) अत्यन्त प्रकाशमान हुए आप (विश्वा) सब (द्वेषांसि) द्वेषयुक्त कर्म्मों को (अस्मत्) हम लोगों के समीप से (प्र,मुमुग्धि) अलग कीजिये ॥४॥
Connotation: - वे ही विद्वान् जन हैं कि जो श्रेष्ठ विद्वान् पुरुष का अनादर नहीं करते हैं और वे ही अध्यापक और उपदेशक कल्याणकारी होते हैं, जो हम लोगों के दोषों को दूर करके पवित्र करते हैं, वे ही हम लोगों से सत्कार करने योग्य हैं ॥४॥
Reads times

SWAMI DAYANAND SARSWATI

पुनस्तमेव विषयमाह ॥

Anvay:

हे अग्ने विद्वांस्त्वं वरुणस्य देवस्य हेळः सन्नव यासिसीष्ठा यजिष्ठो वह्नितमो नोऽस्माञ्च्छोशुचानः सन् विश्वा द्वेषांस्यस्मत्प्र मुमुग्धि ॥४॥

Word-Meaning: - (त्वम्) (नः) अस्मान् (अग्ने) अग्निरिव विद्वन् (वरुणस्य) श्रेष्ठस्य (विद्वान्) (देवस्य) विद्याप्रकाशकस्य (हेळः) हेळन्तेऽनादृता भवन्ति यस्मिन् सः (अव) निवारणे (यासिसीष्ठाः) प्रेरयेथाः। अत्र वा च्छन्दसीति मूर्द्धन्यादेशाभावः (यजिष्ठः) अतिशयेनेष्टा (वह्नितमः) अतिशयेन वोढा (शोशुचानः) भृशं प्रकाशमानः (विश्वा) विश्वानि सर्वाणि (द्वेषांसि) द्वेषयुक्तानि कर्माणि (प्र) (मुमुग्धि) मुञ्च पृथक्कुरु (अस्मत्) अस्माकं सकाशात् ॥४॥
Connotation: - त एव विद्वांसः सन्ति ये श्रेष्ठस्य विदुषोऽनादरं न कुर्वन्ति त एवाध्यापकोपदेशकाः श्रेयांसो येऽस्माकं दोषान् दूरीकृत्य पवित्रयन्ति त एवाऽस्माभिः सत्कर्त्तव्यास्सन्ति ॥४॥
Reads times

MATA SAVITA JOSHI

N/A

Word-Meaning: - N/A
Connotation: - जे, श्रेष्ठ विद्वान पुरुषाचा अनादर करीत नाहीत तेच विद्वान असतात. जे आमचे दोष दूर करून पवित्र करतात तेच अध्यापक व उपदेशक कल्याणकर्ते असतात व तेच आम्हाला सत्कार करण्यायोग्य असतात. ॥ ४ ॥