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नेश॒त्तमो॒ दुधि॑तं॒ रोच॑त॒ द्यौरुद्दे॒व्या उ॒षसो॑ भा॒नुर॑र्त। आ सूर्यो॑ बृह॒तस्ति॑ष्ठ॒दज्राँ॑ ऋ॒जु मर्ते॑षु वृजि॒ना च॒ पश्य॑न् ॥१७॥

English Transliteration

neśat tamo dudhitaṁ rocata dyaur ud devyā uṣaso bhānur arta | ā sūryo bṛhatas tiṣṭhad ajrām̐ ṛju marteṣu vṛjinā ca paśyan ||

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Pad Path

नेश॑त्। तमः॑। दुधि॑तम्। रोच॑त। द्यौः। उत्। दे॒व्याः। उ॒षसः॑। भा॒नुः। अ॒र्त॒। आ। सूर्यः॑। बृ॒ह॒तः। ति॒ष्ठ॒त्। अज्रा॑न्। ऋ॒जु। मर्ते॑षु। वृ॒जि॒ना। च॒। पश्य॑न्॥१७॥

Rigveda » Mandal:4» Sukta:1» Mantra:17 | Ashtak:3» Adhyay:4» Varga:15» Mantra:2 | Mandal:4» Anuvak:1» Mantra:17


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SWAMI DAYANAND SARSWATI

अब सूर्य्य के दृष्टान्त से आत्मा के बल की रक्षा को कहते हैं ॥

Word-Meaning: - हे विद्वन् पुरुष ! जैसे (द्यौः) आकाशस्थ (भानुः) प्रकाशमान (सूर्य्यः) सूर्य्य (देव्याः) उत्तम सुख को प्राप्त करानेवाली (उषसः) प्रभातवेला से (दुधितम्) पूर्ण (तमः) अन्धकार को (उत्, नेशत्) नाश करता और (रोचत) प्रकाशित होता (तिष्ठत्) और स्थित रहता है, वैसे (बृहतः) बड़े (अज्रान्) संसार में जिनका प्रक्षेप हुआ उन पदार्थों को (पश्यन्) देखते हुए आप (मर्त्तेषु) मनुष्यों में (वृजिना) बलों को (च) और (ऋजु) सरलभाव को (आ) (अर्त्त) प्राप्त कराओ ॥१७॥
Connotation: - जैसे सूर्य्य प्रातर्वेला से रात्रि का निवारण करके प्रकाश को उत्पन्न करता है, वैसे ही अध्यापक और उपदेशक व्याप्त भी पदार्थों को देख के नम्रता से मनुष्यों में शरीर और आत्मा के बल को बढ़ावे ॥१७॥
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SWAMI DAYANAND SARSWATI

अथ सूर्य्यदृष्टान्तेनात्मबलसंरक्षणमाह ॥

Anvay:

हे विद्वन् ! यथा द्यौर्भानुः सूर्य्यो देव्या उषसो दुधितं तम उन्नेशद्रोचत तिष्ठत्तथा बृहतोऽज्रान् पश्यन् सँस्त्वं मर्त्तेषु वृजिना चर्ज्वार्त्त ॥१७॥

Word-Meaning: - (नेशत्) नाशयति (तमः) अन्धकारम् (दुधितम्) पूर्णम् (रोचत) प्रकाशते (द्यौः) आकाशस्थः (उत्) (देव्याः) दिव्यसुखप्रापिकायाः (उषसः) प्रभातवेलायाः (भानुः) प्रकाशमानः (अर्त्त) प्रापय (आ) समन्तात् (सूर्य्यः) (बृहतः) महतः (तिष्ठत्) तिष्ठति (अज्रान्) जगति प्रक्षिप्तान् (ऋजु) सरलम् (मर्त्तेषु) मनुष्येषु (वृजिना) बलानि (च) (पश्यन्) ॥१७॥
Connotation: - यथा सूर्य्य उषसा रात्रिं निवार्य प्रकाशं जनयति तथैवाऽध्यापक उपदेशकश्च व्याप्तानपि पदार्थान् दृष्ट्वाऽऽर्जवेन मनुष्येषु शरीरात्मबलं जनयतु ॥१७॥
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MATA SAVITA JOSHI

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Connotation: - जसा सूर्य उषेद्वारे रात्रीचे निवारण करून प्रकाश उत्पन्न करतो तसेच अध्यापक व उपदेशकांनी जगातील पदार्थ पाहून माणसाच्या शरीर व आत्म्याचे बल वाढवावे ॥ १७ ॥