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शुचि॑म॒र्कैर्बृह॒स्पति॑मध्व॒रेषु॑ नमस्यत। अना॒म्योज॒ आ च॑के॥

English Transliteration

śucim arkair bṛhaspatim adhvareṣu namasyata | anāmy oja ā cake ||

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Pad Path

शुचि॑म्। अ॒र्कैः। बृह॒स्पति॑म्। अ॒ध्व॒रेषु॑। न॒म॒स्य॒त॒। अना॑मि। ओजः॑। आ। च॒के॒॥

Rigveda » Mandal:3» Sukta:62» Mantra:5 | Ashtak:3» Adhyay:4» Varga:9» Mantra:5 | Mandal:3» Anuvak:5» Mantra:5


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SWAMI DAYANAND SARSWATI

अब इस अगले मन्त्र में मित्र के विषय को कहते हैं।

Word-Meaning: - हे विद्या के प्रेमीजनो ! आप लोग (अध्वरेषु) जिनमें हिंसा नहीं होती ऐसे विद्या की प्राप्ति के कर्मों में (अर्कैः) सत्कार करने योग्य विचारों से वर्त्तमान (शुचिम्) पवित्र (बृहस्पतिम्) वाणीरूप विद्या की रक्षा करनेवाले का (नमस्यत) सत्कार करो और जो (ओजः) पराक्रम (अनामि) नहीं नम्र होनेवाला और जिसकी मैं (आ, चके) कामना करता हूँ, उसकी आप लोग कामना करो ॥५॥
Connotation: - जो मनुष्य वेदार्थ के जाननेवाले अध्यापक और उपदेशकों का नमस्कार और सत्कार करते हैं, वे पवित्र विद्वान् हुए बल को प्राप्त होते हैं ॥५॥
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SWAMI DAYANAND SARSWATI

मित्रविषयमाह।

Anvay:

हे विद्याप्रिया जना यूयमध्वरेष्वर्कैर्वर्त्तमानं शुचिं बृहस्पतिं नमस्यत यदोजोऽनामि यदहमा चके तद्यूयं कामयध्वम् ॥५॥

Word-Meaning: - (शुचिम्) पवित्रम् (अर्कैः) सत्कर्त्तव्यैर्मन्त्रैर्विचारैः (बृहस्पतिम्) वाग्विद्यारक्षकम् (अध्वरेषु) अहिंसनीयेषु विद्याप्राप्तिकर्मसु (नमस्यत) सत्कुरुत (अनामि) नम्यते (ओजः) पराक्रमः (आ) (चके) कामये ॥५॥
Connotation: - ये मनुष्या वेदार्थविदोऽध्यापकानुपदेशकांश्च नमस्यन्ति सत्कुर्वन्ति ते पवित्रा विद्वांसः सन्तो बलमाप्नुवन्ति ॥५॥
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MATA SAVITA JOSHI

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Connotation: - जी माणसे वेदार्थ जाणणाऱ्या अध्यापक व उपदेशकांना वंदन करून त्यांचा सत्कार करतात ती पवित्र विद्वान बनून बल प्राप्त करतात. ॥ ५ ॥