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उ॒रु॒शंसा॑ नमो॒वृधा॑ म॒ह्ना दक्ष॑स्य राजथः। द्राघि॑ष्ठाभिः शुचिव्रता॥

English Transliteration

uruśaṁsā namovṛdhā mahnā dakṣasya rājathaḥ | drāghiṣṭhābhiḥ śucivratā ||

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Pad Path

उ॒रु॒ऽशंसा॑। न॒मः॒ऽवृधा॑। म॒ह्ना। दक्ष॑स्य। रा॒ज॒थः॒। द्राघि॑ष्ठाभिः। शु॒चि॒ऽव्र॒ता॒॥

Rigveda » Mandal:3» Sukta:62» Mantra:17 | Ashtak:3» Adhyay:4» Varga:11» Mantra:7 | Mandal:3» Anuvak:5» Mantra:17


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SWAMI DAYANAND SARSWATI

फिर उसी विषय को अगले मन्त्र में कहते हैं।

Word-Meaning: - हे (शुचिव्रता) उत्तमकर्म करनेवाले (उरुशंसा) बहुत स्तुतियों से युक्त (नमोवृधा) अन्न आदि के बढ़ानेवाले अध्यापक और उपदेशक लोगो ! जिससे कि आप दोनों प्राण और उदान वायु के सदृश (दक्षस्य) बल के (मह्ना) महत्त्व से (द्राघिष्ठाभिः) बहुत बड़ी और पुरुषार्थ से युक्त क्रियाओं से (राजथः) प्रकाशित होते हैं, इस कारण सत्कार करने योग्य हैं ॥१७॥
Connotation: - हे मनुष्यो ! जो पवित्रता से युक्त यशस्वी जन बल ऐश्वर्य्य और अन्न आदि की वृद्धि और बड़े श्रेष्ठ कर्म्मों से लोकों में प्रकाशित होते हैं, उनकी ही सेवा और सत्कार करो ॥१७॥
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SWAMI DAYANAND SARSWATI

पुनस्तमेव विषयमाह।

Anvay:

हे शुचिव्रतोरुशंसा नमोवृधा मित्रावरुणा यतो युवां प्राणोदानाविव दक्षस्य मह्ना द्राघिष्ठाभी राजथस्तस्मात्सत्कर्त्तव्यौ भवथः ॥१७॥

Word-Meaning: - (उरुशंसा) बहुप्रस्तुती (नमोवृधा) नमसोऽन्नादेर्वर्धकौ (मह्ना) महत्वेन (दक्षस्य) बलस्य (राजथः) (द्राघिष्ठाभिः) अत्यन्तं दीर्घाभिः पुरुषार्थयुक्ताभिः क्रियाभिः (शुचिव्रता) पवित्रकर्माणौ ॥१७॥
Connotation: - हे मनुष्या ये पवित्रोपचिता यशस्विनो बलैश्वर्य्यान्नादीनां वृध्या महतीभिः सत्क्रियाभिर्ल्लोकेषु प्रकाशन्ते तानेव सेवध्वं सत्कुरुत ॥१७॥
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MATA SAVITA JOSHI

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Connotation: - हे माणसांनो! जे पवित्र यशस्वी लोक बल, ऐश्वर्य व अन्न इत्यादीची वृद्धी करून श्रेष्ठ कर्मानी जगात प्रसिद्ध होतात त्यांचीच सेवा व सत्कार करा. ॥ १७ ॥