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सोमो॑ जिगाति गातु॒विद्दे॒वाना॑मेति निष्कृ॒तम्। ऋ॒तस्य॒ योनि॑मा॒सद॑म्॥

English Transliteration

somo jigāti gātuvid devānām eti niṣkṛtam | ṛtasya yonim āsadam ||

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Pad Path

सोमः॑। जि॒गा॒ति॒। गा॒तु॒ऽवित्। दे॒वाना॑म्। ए॒ति॒। निः॒ऽकृ॒तम्। ऋ॒तस्य॑। योनि॑म्। आ॒ऽसद॑म्॥

Rigveda » Mandal:3» Sukta:62» Mantra:13 | Ashtak:3» Adhyay:4» Varga:11» Mantra:3 | Mandal:3» Anuvak:5» Mantra:13


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SWAMI DAYANAND SARSWATI

फिर उसी विषय को अगले मन्त्र में कहते हैं।

Word-Meaning: - जो (गातुवित्) प्रशंसा जाननेवाले (सोमः) ऐश्वर्य्य से युक्त (देवानाम्) विद्वानों और (ऋतस्य) सत्य के (निष्कृतम्) निरन्तर जाने गए (आसदम्) और जिसमें सब वर्त्तमान होते हैं उस (योनिम्) कारण की (जिगाति) स्तुति करता है, वह अपेक्षित सुख को (एति) प्राप्त होता है ॥१३॥
Connotation: - जो विद्वान् इस अनेक प्रकार के स्वरूपवाले संसार के कारण अव्यक्त को जानता है और इस संसार के रचनेवाले परमात्मा की प्रशंसा करता है, वही ऐश्वर्य्य से युक्त होता है ॥१३॥
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SWAMI DAYANAND SARSWATI

पुनस्तमेव विषयमाह।

Anvay:

यो गातुवित्सोमो देवानामृतस्य निष्कृतमासदं योनिं जिगाति सोऽभीष्टसुखमेति ॥१३॥

Word-Meaning: - (सोमः) ऐश्वर्य्ययुक्तः (जिगाति) स्तौति (गातुवित्) प्रशंसावित् (देवानाम्) विदुषाम् (एति) प्राप्नोति (निष्कृतम्) नितरां विज्ञातम् (ऋतस्य) सत्यस्य (योनिम्) कारणम् (आसदम्) आसीदन्ति सर्वे यस्मिंस्तम् ॥१३॥
Connotation: - यो विद्वानस्य विविधाकृतेर्विश्वस्य कारणमव्यक्तं जानाति एतन्निर्मातारं परमात्मानं प्रशंसति स एवैश्वर्यसम्पन्नो भवति ॥१३॥
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MATA SAVITA JOSHI

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Connotation: - जे विद्वान अनेक प्रकारचे स्वरूप असलेल्या संसाराचे अव्यक्त कारण जाणतात व संसार निर्माण करणाऱ्या परमात्म्याची प्रशंसा करतात, तेच ऐश्वर्ययुक्त होतात. ॥ १३ ॥