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दे॒वस्य॑ सवि॒तुर्व॒यं वा॑ज॒यन्तः॒ पुर॑न्ध्या। भग॑स्य रा॒तिमी॑महे॥

English Transliteration

devasya savitur vayaṁ vājayantaḥ puraṁdhyā | bhagasya rātim īmahe ||

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Pad Path

दे॒वस्य॑। स॒वि॒तुः। व॒यम्। वा॒ज॒ऽयन्तः॑। पुर॑म्ऽध्या। भग॑स्य। रा॒तिम्। ई॒म॒हे॒॥

Rigveda » Mandal:3» Sukta:62» Mantra:11 | Ashtak:3» Adhyay:4» Varga:11» Mantra:1 | Mandal:3» Anuvak:5» Mantra:11


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SWAMI DAYANAND SARSWATI

फिर उसी विषय को अगले मन्त्र में कहते हैं।

Word-Meaning: - हे मनुष्यो ! जैसे (पुरन्ध्या) जिस बुद्धि से बहुत बोधों को धारण करता उससे (वाजयन्तः) जनाते हुए (वयम्) हम लोग (सवितुः) प्रेरणा करनेवाले अन्तर्य्यामी (देवस्य) कामना करने के योग्य (भगस्य) ऐश्वर्य्य देनेवाले के (रातिम्) दान की (ईमहे) याचना करते हैं, वैसे आप लोग भी उस बुद्धि की याचना करो ॥११॥
Connotation: - मनुष्य लोग जो बुद्धि को बढ़ाय पुरुषार्थ से धर्म का अनुष्ठान कर और परमेश्वर की आज्ञा के अनुकूल वर्त्ताव करके अपनी शुद्धि के लिये प्रार्थना करैं तो ईश्वर उनको शीघ्र पवित्र और शुद्ध आचरणयुक्त करता है ॥११॥
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SWAMI DAYANAND SARSWATI

पुनस्तमेव विषयमाह।

Anvay:

हे मनुष्या यथा पुरन्ध्या वाजयन्तो वयं सवितुर्देवस्य भगस्य रातिमीमहे तथा यूयमप्येतां याचध्वम् ॥११॥

Word-Meaning: - (देवस्य) कमनीयस्य (सवितुः) प्रेरकस्याऽन्तर्यामिणः (वयम्) (वाजयन्तः) विज्ञापयन्तः (पुरन्ध्या) यया प्रज्ञया बहून् बोधान् दधाति तया (भगस्य) ऐश्वर्य्यप्रदस्य (रातिम्) दानम् (ईमहे) याचामहे ॥११॥
Connotation: - मनुष्यैर्य्यदि प्रज्ञां वर्धयित्वा पुरुषार्थेन धर्ममनुष्ठाय परमेश्वराऽऽज्ञाऽऽनुकूल्येन वर्त्तित्वा स्वात्मशुद्धये प्रार्थना क्रियेत तर्हीश्वरस्तान्त्सद्यः पवित्राञ्छुद्धाचारान्करोति ॥११॥
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MATA SAVITA JOSHI

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Connotation: - माणसे बुद्धीची वाढ करून पुरुषार्थाने धर्माचे अनुष्ठान करून परमेश्वराच्या आज्ञेच्या अनुकूल वर्तन करून आत्मशुद्धीसाठी प्रार्थना करतात तेव्हा त्यांना ईश्वर लवकर पवित्र व शुद्ध आचरणयुक्त करतो. ॥ ११ ॥