मि॒त्रो दे॒वेष्वा॒युषु॒ जना॑य वृ॒क्तब॑र्हिषे। इष॑ इ॒ष्टव्र॑ता अकः॥
mitro deveṣv āyuṣu janāya vṛktabarhiṣe | iṣa iṣṭavratā akaḥ ||
मि॒त्रः। दे॒वेषु॑। आ॒युषु॑। जना॑य। वृ॒क्तऽब॑र्हिषे। इषः॑। इ॒ष्टऽव्र॑ताः। अ॒क॒रित्य॑कः॥
SWAMI DAYANAND SARSWATI
अब मित्रत्व से ईश्वरोपासना विषय को अगले मन्त्र में कहते हैं।
SWAMI DAYANAND SARSWATI
अथ मित्रत्वेनेश्वरोपासनविषयमाह।
हे मनुष्या यो मित्र ईश्वरो वृक्तबर्हिषे जनाय देवेष्वायुष्विष्टव्रता इषोऽकस्तं सर्वे भजध्वम् ॥९॥
MATA SAVITA JOSHI
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