Go To Mantra

अश्वि॑ना वा॒युना॑ यु॒वं सु॑दक्षा नि॒युद्भि॑श्च स॒जोष॑सा युवाना। नास॑त्या ति॒रोअ॑ह्न्यं जुषा॒णा सोमं॑ पिबतम॒स्रिधा॑ सुदानू॥

English Transliteration

aśvinā vāyunā yuvaṁ sudakṣā niyudbhiṣ ca sajoṣasā yuvānā | nāsatyā tiroahnyaṁ juṣāṇā somam pibatam asridhā sudānū ||

Mantra Audio
Pad Path

अश्वि॑ना। वा॒युना॑। यु॒वम्। सु॒ऽद॒क्षा॒। नि॒युत्ऽभिः॑। च॒। स॒ऽजोष॑सा। यु॒वा॒ना॒। नास॑त्या। ति॒रःऽअ॑ह्न्यम्। जु॒षा॒णा। सोम॑म्। पि॒ब॒त॒म्। अ॒स्रिधा॑। सु॒दा॒नू॒ इति॑ सुऽदानू॥

Rigveda » Mandal:3» Sukta:58» Mantra:7 | Ashtak:3» Adhyay:4» Varga:4» Mantra:2 | Mandal:3» Anuvak:5» Mantra:7


Reads times

SWAMI DAYANAND SARSWATI

अब शिल्पविद्या उपदेशार्थ आज्ञा विषय को अगले मन्त्र में कहते हैं।

Word-Meaning: - हे (युवाना) यौवनावस्था को प्राप्त (नासत्या) असत्य आचार से रहित (सुदक्षा) उत्तम प्रकार चतुर (सजोषसा) तुल्य प्रीति के सेवनेवाले (तिरोअह्न्यम्) तिर्च्छे दिनों में उत्तम की (जुषाणा) सेवा करते हुए (अस्रिधा) अहिंसक (सुदानू) उत्तमपदार्थ के देने (अश्विना) शिल्पविद्या के पढ़ाने और पढ़नेवाले स्वामी और सेवको ! (युवम्) आप दोनों (वायुना) पवन से (नियुद्भिः, च) नियत किये हुए भी वाहनों में स्थित हो और आकर (सोमम्) बड़ी ओषधि के रस का (पिबतम्) पान कीजिये ॥७॥
Connotation: - हे मनुष्यो ! आप हिंसा आदि अधर्म व्यवहार को त्याग के वायु बिजुली आदि पदार्थविद्याओं को जान अन्य जनों के लिये विद्या आदि दे और पूर्ण ब्रह्मचर्य्य का सेवन करके अतिकाल जीओ ॥७॥
Reads times

SWAMI DAYANAND SARSWATI

अथ शिल्पविद्योपदेशार्थाज्ञाविषयमाह।

Anvay:

हे युवाना नासत्या सुदक्षा सजोषसा तिरोअह्न्यं जुषाणा अस्रिधा सुदानू अश्विना युवं वायुना नियुद्भिश्च युक्ते याने स्थित्वाऽऽगत्य सोमं पिबतम् ॥७॥

Word-Meaning: - (अश्विना) शिल्पविद्याध्यापकाऽध्येतारौ स्वामिसेवकौ वा (वायुना) पवनेन (युवम्) युवाम् (सुदक्षा) सुष्ठु चतुरौ (नियुद्भिः) नियुक्तैः (च) (सजोषसा) समानप्रीतिसेविनौ (युवाना) प्राप्तयौवनौ (नासत्या) अविद्यमानाऽसत्याचारौ (तिरोअह्न्यम्) तिरश्चीनेष्वहस्सु साधुम् (जुषाणा) सेवमानौ (सोमम्) महौषधिरसम् (पिबतम्) (अस्रिधा) अहिंसकौ (सुदानू) उत्तमपदार्थदातारौ ॥७॥
Connotation: - हे मनुष्या भवन्तो हिंसाद्यधर्मव्यवहारं विहाय वायुविद्युदादिपदार्थविद्या विज्ञायाऽन्येभ्यो विद्यादि दत्वा पूर्णं ब्रह्मचर्य्यं सेवित्वा चिरञ्जीवन्तु ॥७॥
Reads times

MATA SAVITA JOSHI

N/A

Word-Meaning: - N/A
Connotation: - हे माणसांनो! तुम्ही हिंसा इत्यादी अधर्म व्यवहाराचा त्याग करा. वायू, विद्युत इत्यादी पदार्थ विद्यांना जाणून इतरांसाठी विद्या द्या व पूर्ण ब्रह्मचर्याचे सेवन करून दीर्घ काल जगा. ॥ ७ ॥