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ति॒रः पु॒रू चि॑दश्विना॒ रजां॑स्याङ्गू॒षो वां॑ मघवाना॒ जने॑षु। एह या॑तं प॒थिभि॑र्देव॒यानै॒र्दस्रा॑वि॒मे वां॑ नि॒धयो॒ मधू॑नाम्॥

English Transliteration

tiraḥ purū cid aśvinā rajāṁsy āṅgūṣo vām maghavānā janeṣu | eha yātam pathibhir devayānair dasrāv ime vāṁ nidhayo madhūnām ||

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Pad Path

ति॒रः। पु॒रु। चि॒त्। अ॒श्वि॒ना॒। रजां॑सि। आ॒ङ्गू॒षः। वा॒म्। म॒घ॒ऽवा॒ना॒। जने॑षु। आ। इ॒ह। या॒त॒म्। प॒थिऽभिः॑। दे॒व॒ऽयानैः॑। दस्रौ॑। इ॒मे। वा॒म्। नि॒ऽधयः॑। मधू॑नाम्॥

Rigveda » Mandal:3» Sukta:58» Mantra:5 | Ashtak:3» Adhyay:4» Varga:3» Mantra:5 | Mandal:3» Anuvak:5» Mantra:5


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SWAMI DAYANAND SARSWATI

फिर उसी विषय को अगले मन्त्र में कहते हैं।

Word-Meaning: - हे (दस्रौ) क्लेश के नाशकर्त्ता (मघवाना) अत्यन्त उत्तम धनयुक्त (अश्विना) शिल्पविद्या के जाननेवाले अध्यापक और उपदेशको ! जो (वाम्) आप दोनों (देवयानैः) विद्वान् लोग जिनसे चलते उन (पथिभिः) मार्गों से (पुरू) बहुत (रजांसि) लोकों को (तिरः) तिर्छे मार्ग से (आ, यातम्) प्राप्त होवें तो (इह) यहाँ (वाम्) तुम दोनों को (जनेषु) मनुष्यों में (इमे) ये (मधूनाम्) माधुर्य गुणों से युक्त पदार्थसम्बन्धी (निधयः) धनों के समूह प्राप्त होवैं। और (आङ्गूषः) विद्वान् (चित्) भी प्राप्त होवे ॥५॥
Connotation: - जो लोग विद्वानों के मार्गों से पदार्थविद्याओं का खोज करैं, वे सम्पूर्ण विद्याओं को प्राप्त हों तथा जल स्थल और अन्तरिक्षों में जा आ और लक्ष्मीवान् हो दारिद्र्य का तिरस्कार करके धनवान् होते हुए अन्य जनों को भी ऐसे ही करैं ॥५॥
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SWAMI DAYANAND SARSWATI

पुनस्तमेव विषयमाह।

Anvay:

हे दस्रौ मघवाना अश्विना यदि वां देवयानैः पथिभिः पुरू रजांसि तिर आयातं तर्हीह वां जनेष्विमे मधूनां निधयः प्राप्नुयुः। आङ्गूषश्चिदपि प्राप्नुयात् ॥५॥

Word-Meaning: - (तिरः) तिर्यक् (पुरू) बहूनि (चित्) अपि (अश्विना) शिल्पविद्याविदावध्यापकोपदेशकौ (रजांसि) लोकान् (आङ्गूषः) विद्वान् (वाम्) युवाम् (मघवाना) परमोत्तमधनयुक्तौ (जनेषु) मनुष्येषु (आ) (इह) (यातम्) (पथिभिः) मार्गैः (देवयानैः) देवा विद्वांसो यान्ति यैस्तैः (दस्रौ) क्लेशविनाशकौ (इमे) (वाम्) (निधयः) धनसमूहाः (मधूनाम्) माधुर्य्यगुणयुक्तानां पदार्थानाम् ॥५॥
Connotation: - ये विद्वद्गतैर्मार्गैः पदार्थविद्या अन्विच्छेयुस्ते सकलविद्याः प्राप्य जलस्थलान्तरिक्षेषु गत्वागत्य श्रीमन्तो भूत्वा दारिद्र्यं तिरस्कृत्य निधिमन्तः सन्तोऽन्यानप्येवं कुर्य्युः ॥५॥
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MATA SAVITA JOSHI

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Connotation: - जी माणसे विद्वानाच्या मार्गाने पदार्थ विद्येचा शोध घेतात, ती संपूर्ण विद्या प्राप्त करतात. जल व अंतरिक्षात जा-ये करून श्रीमंत बनून दारिद्र्याचा नाश करतात व इतर लोकांना श्रीमंत करतात. ॥ ५ ॥