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आ म॑न्येथा॒मा ग॑तं॒ कच्चि॒देवै॒र्विश्वे॒ जना॑सो अ॒श्विना॑ हवन्ते। इ॒मा हि वां॒ गोऋ॑जीका॒ मधू॑नि॒ प्र मि॒त्रासो॒ न द॒दुरु॒स्रो अग्रे॑॥

English Transliteration

ā manyethām ā gataṁ kac cid evair viśve janāso aśvinā havante | imā hi vāṁ goṛjīkā madhūni pra mitrāso na dadur usro agre ||

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Pad Path

आ। म॒न्ये॒था॒म्। आ। ग॒त॒म्। कत्। चि॒त्। एवैः॑। विश्वे॑। जना॑सः। अ॒श्विना॑। ह॒व॒न्ते॒। इ॒मा। हि। वा॒म्। गोऽऋ॑जीका। मधू॑नि। प्र। मि॒त्रासः॑। न। द॒दुः। उ॒स्रः। अग्रे॑॥

Rigveda » Mandal:3» Sukta:58» Mantra:4 | Ashtak:3» Adhyay:4» Varga:3» Mantra:4 | Mandal:3» Anuvak:5» Mantra:4


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SWAMI DAYANAND SARSWATI

फिर उसी विषय को अगले मन्त्र में कहते हैं।

Word-Meaning: - हे (अश्विना) अध्यापक और उपेदशक जन ! आप दोनों को (विश्वे) सम्पूर्ण (जनासः) प्रसिद्ध मनुष्य (हवन्ते) ग्रहण करते हैं (अग्रे) और प्रथम (हि) कि जिससे (इमा) इन (गोऋजीका) गौवों के दुग्ध आदि से मिले हुए (मधूनि) सोमलतारूप औषधियों के रसों को (मित्रासः) मित्र लोगों के (न) सदृश (प्र, ददुः) देवें। उनको तथा (उस्रः) गौओं को (वाम्) आप दोनों (एवैः) शीघ्र पहुँचानेवाले बिजुली आदि से चलाये गये वाहनों से (कत्) कब (आ, गतम्) प्राप्त हुए (चित्) भी (आ) सब प्रकार (मन्येथाम्) जानिये ॥४॥
Connotation: - विद्वानों की योग्यता है कि जो प्रीति से धार्मिक उत्तम सेवक विद्यार्थी वा श्रोताजन समीप आवैं, उनको उत्तम विज्ञान आदि देवैं, जिससे सब मनुष्य सबके साथ मित्रों के सदृश वर्त्ताव करैं ॥४॥
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SWAMI DAYANAND SARSWATI

पुनस्तमेव विषयमाह।

Anvay:

हे अश्विनावध्यापकोपदेशकौ यौ युवां विश्वे जनासो हवन्तेऽग्रे हीमा गोऋजीका मधूनि मित्रासो न प्रददुस्तानुस्रो वामेवैः कदाऽऽगतं चिदपि तानामन्येथाम् ॥४॥

Word-Meaning: - (आ) समन्तात् (मन्येथाम्) विजानीतम् (आ) (गतम्) आगच्छतम् (कत्) कदा (चित्) अपि (एवैः) सद्यः प्रापकैर्विद्युदादिचालितैर्यानैः (विश्वे) सर्वे (जनासः) प्रसिद्धा मनुष्याः (अश्विना) वायुविद्युतौ (हवन्ते) आददति (इमा) इमानि (हि) यतः (वाम्) (गोऋजीका) गवां दुग्धादिना मिश्रितानि (मधूनि) (प्र) (मित्रासः) सखायः (न) इव (ददुः) दद्युः (उस्रः) गाः। उस्रेति गोनाम०। निघं० २। ११। (अग्रे) पूर्वम् ॥४॥
Connotation: - विदुषां योग्यतास्ति ये प्रीत्या धार्मिकाः सुसेवका विद्यार्थिनश्श्रोतारो वा समीपमागच्छेयुस्तेभ्यः प्रशस्तानि विज्ञानादीनि दद्युः। हि यतो सर्वे मनुष्याः सर्वैः सह मित्रवद्वर्त्तेरन् ॥४॥
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MATA SAVITA JOSHI

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Connotation: - धार्मिक उत्तम सेवक, विद्यार्थी किंवा श्रोतागण प्रेमाने विद्वानाजवळ येतात तेव्हा त्यांना उत्तम विज्ञान द्यावे. ज्यामुळे सर्व माणसे सर्वांबरोबर मित्रांप्रमाणे वागतील. ॥ ४ ॥