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धे॒नुः प्र॒त्नस्य॒ काम्यं॒ दुहा॑ना॒न्तः पु॒त्रश्च॑रति॒ दक्षि॑णायाः। आ द्यो॑त॒निं व॑हति शु॒भ्रया॑मो॒षसः॒ स्तोमो॑ अ॒श्विना॑वजीगः॥

English Transliteration

dhenuḥ pratnasya kāmyaṁ duhānāntaḥ putraś carati dakṣiṇāyāḥ | ā dyotaniṁ vahati śubhrayāmoṣasaḥ stomo aśvināv ajīgaḥ ||

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Pad Path

धे॒नुः। प्र॒त्नस्य॑। काम्य॑म्। दुहा॑ना। अ॒न्तरिति॑। पु॒त्रः। च॒र॒ति॒। दक्षि॑णायाः। आ। द्यो॒त॒निम्। व॒ह॒ति॒। शु॒भ्रऽया॑मा। उ॒षसः॑। स्तोमः॑। अ॒श्विनौ॑। अ॒जी॒ग॒रिति॑॥

Rigveda » Mandal:3» Sukta:58» Mantra:1 | Ashtak:3» Adhyay:4» Varga:3» Mantra:1 | Mandal:3» Anuvak:5» Mantra:1


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SWAMI DAYANAND SARSWATI

अब नव ऋचावाले अट्ठावनवें सूक्त का आरम्भ है। उसके प्रथम मन्त्र में शिल्पिजन के काम को कहते हैं।

Word-Meaning: - हे मनुष्यो ! (शुभ्रयामा) शुद्ध दिन जिससे होते वा जो (प्रत्नस्य) प्राचीन के (काम्यम्) कामना योग्य बोध को (दुहाना) पूर्ण करती हुई (धेनुः) गौ के सदृश वाणी है उस (दक्षिणायाः) ज्ञान को प्राप्त करानेवाली वाणी का (पुत्रः) पुत्र अर्थात् उससे उत्पन्न बोध (अन्तः) मध्य में (चरति) विलसता अर्थात् रहता है (द्योतनिम्) और प्रकाशरूप विद्या को (अश्विनौ) तथा यथार्थवक्ता अध्यापक और उपदेशक को (उषसः) प्रातःकालों के सदृश (आ, वहति) प्राप्त होता वा प्राप्त कराता है और जिससे (स्तोमः) प्रशंसा करने योग्य यथार्थवक्ता अध्यापक और उपदेशक (अजीगः) प्राप्त होता है, उसको आप लोग भी प्राप्त होओ ॥१॥
Connotation: - इस मन्त्र में वाचकलुप्तोपमालङ्कार है। जैसे सूर्य्य प्रातःकालों को उत्पन्न करता है, वैसे ही आत्मा में उत्पन्न हुआ बोध पूर्ण मनोरथ को उत्पन्न कर सत्य और असत्य का प्रकाश करता है। जो विद्या धर्म से युक्त वा श्रेष्ठ वाणी जिसको प्राप्त होती है, उसको सनातन ब्रह्म का बोध भी प्राप्त होता है ॥१॥
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SWAMI DAYANAND SARSWATI

अथ शिल्पिजनकृत्यमाह।

Anvay:

हे मनुष्या शुभ्रयामा या प्रत्नस्य काम्यं दुहाना धेनुरस्ति तस्या दक्षिणायाः पुत्रोऽन्तश्चरति द्योतनिमश्विनौ उषस इवाऽऽवहति यया स्तोमोऽश्विनावजीगस्तां यूयं प्राप्नुत ॥१॥

Word-Meaning: - (धेनुः) गौरिव वाक् (प्रत्नस्य) पुरातनस्य (काम्यम्) कमनीयं बोधम् (दुहाना) प्रपूरयन्ती (अन्तः) आभ्यन्तरे (पुत्रः) तस्या जातो बोधः (चरति) विलसति (दक्षिणायाः) ज्ञानप्रापिकायाः (आ) (द्योतनिम्) प्रकाशरूपां विद्याम् (वहति) प्राप्नोति प्रापयति वा (शुभ्रयामा) शुभ्राश्शुद्धा यामा दिवसा यया स (उषसः) प्रभातान् (स्तोमः) श्लाघनीयः (अश्विनौ) आप्तावध्यापकोपदेशकौ (अजीगः) प्राप्नोति ॥१॥
Connotation: - अत्र वाचकलुप्तोपमालङ्कारः। यथा सूर्य उषसो जनयति तथैवात्मनि जातो बोधः पूर्णं कामं जनयित्वा सत्याऽसत्ये प्रकाशयति। या विद्याधर्मयुक्ता श्लक्ष्णा वा वाग्यमाप्नोति तं सनातनस्य ब्रह्मणो बोधोऽप्याप्नोति ॥१॥
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MATA SAVITA JOSHI

या सूक्तात अश्वि शब्दाने शिल्पीजनांच्या कृत्याचे वर्णन असल्यामुळे या सूक्ताच्या अर्थाची पूर्व सूक्तार्थाबरोबर संगती जाणावी.

Word-Meaning: - N/A
Connotation: - या मंत्रात वाचकलुप्तोपमालंकार आहे. जसा सूर्य प्रातःकाळ उत्पन्न करतो तसेच आत्म्यात उत्पन्न झालेला बोध पूर्ण मनोरथ उत्पन्न करून सत्य व असत्याचा प्रकाश करतो. ज्याला विद्या धर्मयुक्त वाणी प्राप्त होते त्याला सनातन ब्रह्माचा बोधही होतो. ॥ १ ॥