या ते॑ अग्ने॒ पर्व॑तस्येव॒ धारास॑श्चन्ती पी॒पय॑द्देव चि॒त्रा। ताम॒स्मभ्यं॒ प्रम॑तिं जातवेदो॒ वसो॒ रास्व॑ सुम॒तिं वि॒श्वज॑न्याम्॥
yā te agne parvatasyeva dhārāsaścantī pīpayad deva citrā | tām asmabhyam pramatiṁ jātavedo vaso rāsva sumatiṁ viśvajanyām ||
या। ते॒। अ॒ग्ने॒। पर्व॑तस्यऽइव। धारा॑। अस॑श्चन्ती। पी॒पय॑त्। दे॒व॒। चि॒त्रा। ताम्। अ॒स्मभ्य॑म्। प्रऽम॑तिम्। जा॒त॒ऽवे॒दः॒। वसो॒ इति॑। रास्व॑। सु॒ऽम॒तिम्। वि॒श्वऽज॑न्याम्॥
SWAMI DAYANAND SARSWATI
फिर स्त्री पुरुष के कृत्य को अगले मन्त्र में कहते हैं।
SWAMI DAYANAND SARSWATI
पुनः स्त्रीपुरुषयोः कृत्यमाह।
हे अग्ने ते यासश्चन्ती चित्रा पर्वतस्येव धारा पीपयत्तां प्रमतिं विश्वजन्यां सुमतिं त्वं रास्व। हे देव वसो जातवेदो भगवँस्त्वं दम्पतीभ्योऽस्मभ्यमेतां विद्यां प्रज्ञां वाचमीदृशीं स्त्रियमीदृशं पतिं च कृपया देहि यतो वयं सर्वदा सुखिनो भवेम ॥६॥
MATA SAVITA JOSHI
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