त्रिरु॑त्त॒मा दू॒णशा॑ रोच॒नानि॒ त्रयो॑ राज॒न्त्यसु॑रस्य वी॒राः। ऋ॒तावा॑न इषि॒रा दू॒ळभा॑स॒स्त्रिरा दि॒वो वि॒दथे॑ सन्तु दे॒वाः॥
trir uttamā dūṇaśā rocanāni trayo rājanty asurasya vīrāḥ | ṛtāvāna iṣirā dūḻabhāsas trir ā divo vidathe santu devāḥ ||
त्रिः। उ॒त्ऽत॒मा दुः॒ऽनशा॑। रो॒च॒नानि॑। त्रयः॑। रा॒ज॒न्ति॒। असु॑रस्य। वी॒राः। ऋ॒तऽवा॑नः। इ॒षि॒राः। दुः॒ऽदभा॑सः। त्रिः। आ। दि॒वः। वि॒दथे॑। स॒न्तु॒। दे॒वाः॥
SWAMI DAYANAND SARSWATI
फिर उसी विषय को अगले मन्त्र में कहते हैं।
SWAMI DAYANAND SARSWATI
पुनस्तमेव विषयमाह।
ये ब्रह्मभक्तास्त्रय इवाऽसुरस्येषिरा ऋतावानो वीरा दूळभास आदिवो देवा विदथे त्रिस्सन्तु ते दूणशोत्तमा रोचनानि त्री राजन्ति ॥८॥
MATA SAVITA JOSHI
N/A