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विष्णु॑र्गो॒पाः प॑र॒मं पा॑ति॒ पाथः॑ प्रि॒या धामा॑न्य॒मृता॒ दधा॑नः। अ॒ग्निष्टा विश्वा॒ भुव॑नानि वेद म॒हद्दे॒वाना॑मसुर॒त्वमेक॑म्॥

English Transliteration

viṣṇur gopāḥ paramam pāti pāthaḥ priyā dhāmāny amṛtā dadhānaḥ | agniṣ ṭā viśvā bhuvanāni veda mahad devānām asuratvam ekam ||

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Pad Path

विष्णुः॑। गो॒पाः। प॒र॒मम्। पा॒ति॒। पाथः॑। प्रि॒या। धामा॑नि। अ॒मृता॑। दधा॑नः। अ॒ग्निः। ता। विश्वा॑। भुव॑नानि। वे॒द॒। म॒हत्। दे॒वाना॑म्। अ॒सु॒र॒ऽत्वम्। एक॑म्॥

Rigveda » Mandal:3» Sukta:55» Mantra:10 | Ashtak:3» Adhyay:3» Varga:29» Mantra:5 | Mandal:3» Anuvak:5» Mantra:10


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SWAMI DAYANAND SARSWATI

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Word-Meaning: - हे मनुष्यो ! जो (अग्निः) अग्निरूप बिजुली के सदृश स्वयं प्रकाशित (विष्णुः) चर और अचर संसार में व्यापक परमात्मा (गोपाः) सबकी रक्षा करनेवाला परमेश्वर जिन (परमम्) उत्तम (पाथः) पृथिवी आदि अन्न और (प्रिया) कामना करने और सेवा करने योग्य (अमृता) नाश से रहित प्रकृति आदि और (धामानि) जन्म, स्थान और नाम को (दधानः) धारण और पुष्ट करता हुआ (पाति) रक्षा करता है (ता) उन (विश्वा) सम्पूर्ण (भुवनानि) निवासस्थानों को (वेद) जानता है, उस (देवानाम्) पृथिवी आदिकों के मध्य में (महत्) व्यापक हुए (एकम्) द्वितीयरहित ब्रह्म (असुरत्वम्) सबके फेंकनेवाले को आप लोग जानो ॥१०॥
Connotation: - इस मन्त्र में वाचकलुप्तोपमालङ्कार है। हे मनुष्यो ! जो इस संसार का उत्पन्न, धारण, पालन और नाश करनेवाला है और सब जीवों के हित के लिये अनेक प्रकार के पदार्थों का निर्माण करता है, उसही की आप लोग सेवा करो ॥१०॥
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SWAMI DAYANAND SARSWATI

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Anvay:

हे मनुष्या योऽग्निरिव विष्णुर्गोपा यानि परमं पाथः प्रिया अमृता धामानि दधानः पाति ता तानि विश्वा भुवनानि वेद तद्देवानां महदेकमसुरत्वं यूयं वित्त ॥१०॥

Word-Meaning: - (विष्णुः) वेवेष्टि व्याप्नोति चराचरं जगत् स परमात्मा (गोपाः) सर्वस्य रक्षकः (परमम्) प्रकृष्टम् (पाति) रक्षति (पाथः) पृथिव्याद्यन्नम् (प्रिया) प्रियाणि कमनीयानि सेवितुमर्हाणि (धामानि) जन्मस्थाननामानि (अमृता) नाशरहितानि प्रकृत्यादीनि (दधानः) धरन् पुष्यन्त्सन् (अग्निः) पावको विद्युदिव स्वप्रकाशः (ता) तानि (विश्वा) सर्वाणि (भुवनानि) निवासस्थानानि (वेद) जानाति (महत्) व्यापकं सत् (देवानाम्) पृथिव्यादीनां मध्ये (असुरत्वम्) सर्वेषां प्रक्षेप्तारम् (एकम्) अद्वितीयं ब्रह्म ॥१०॥
Connotation: - अत्र वाचकलुप्तोपमालङ्कारः। हे मनुष्या योऽस्य जगत उत्पादको धाता पालको विनाशकोऽस्ति सर्वेषां जीवानां हिताय विविधान् पदार्थान्निर्मिमीते तमेव यूयं सेवध्वम् ॥१०॥
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MATA SAVITA JOSHI

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Connotation: - या मंत्रात वाचकलुप्तोपमालंकार आहे. हे माणसांनो! जो या जगाला उत्पन्न करून धारण, पालन व संहार करतो, सर्व जीवांच्या हितासाठी अनेक प्रकारच्या पदार्थांना निर्माण करतो त्याचेच तुम्ही लोक सेवन करा. ॥ १० ॥