विश्वेदे॒ते जनि॑मा॒ सं वि॑विक्तो म॒हो दे॒वान्बिभ्र॑ती॒ न व्य॑थेते। एज॑द्ध्रु॒वं प॑त्यते॒ विश्व॒मेकं॒ चर॑त्पत॒त्रि विषु॑णं॒ वि जा॒तम्॥
viśved ete janimā saṁ vivikto maho devān bibhratī na vyathete | ejad dhruvam patyate viśvam ekaṁ carat patatri viṣuṇaṁ vi jātam ||
विश्वा॑। इत्। ए॒ते इति॑। जनि॑म। सम्। वि॒वि॒क्तः॒। म॒हः। दे॒वान्। बिभ्र॑ती॒ इति॑। न। व्य॒थे॒ते॒ इति॑। एज॑त्। ध्रु॒वम्। प॒त्य॒ते॒। विश्व॑म्। एक॑म्। चर॑त्। प॒त॒त्रि। विषु॑णम्। वि। जा॒तम्॥
SWAMI DAYANAND SARSWATI
फिर उसी विषय को अगले मन्त्र में कहते हैं।
SWAMI DAYANAND SARSWATI
पुनस्तमेव विषयमाह।
हे विद्वांस य एते महो देवान् बिभ्रती विश्वा जनिमा सं विविक्तो न व्यथेते यत्रेदेव ध्रुवमेजदेकं विषुणं जातं पतत्रि चरद्विश्वं विपत्यते ते यूयं विजानीत ॥८॥
MATA SAVITA JOSHI
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