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विश्वेदे॒ते जनि॑मा॒ सं वि॑विक्तो म॒हो दे॒वान्बिभ्र॑ती॒ न व्य॑थेते। एज॑द्ध्रु॒वं प॑त्यते॒ विश्व॒मेकं॒ चर॑त्पत॒त्रि विषु॑णं॒ वि जा॒तम्॥

English Transliteration

viśved ete janimā saṁ vivikto maho devān bibhratī na vyathete | ejad dhruvam patyate viśvam ekaṁ carat patatri viṣuṇaṁ vi jātam ||

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Pad Path

विश्वा॑। इत्। ए॒ते इति॑। जनि॑म। सम्। वि॒वि॒क्तः॒। म॒हः। दे॒वान्। बिभ्र॑ती॒ इति॑। न। व्य॒थे॒ते॒ इति॑। एज॑त्। ध्रु॒वम्। प॒त्य॒ते॒। विश्व॑म्। एक॑म्। चर॑त्। प॒त॒त्रि। विषु॑णम्। वि। जा॒तम्॥

Rigveda » Mandal:3» Sukta:54» Mantra:8 | Ashtak:3» Adhyay:3» Varga:25» Mantra:3 | Mandal:3» Anuvak:5» Mantra:8


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SWAMI DAYANAND SARSWATI

फिर उसी विषय को अगले मन्त्र में कहते हैं।

Word-Meaning: - हे विद्वानो ! जो (एते) ये अन्तरिक्ष और पृथिवी (महः) बड़े अर्थात् श्रेष्ठ (देवान्) उत्तम पदार्थों को (बिभ्रती) धारण करती हुईं (विश्वा) सब (जनिमा) जन्मों को (सम्, विविक्तः) पृथक् करती हैं और (न) नहीं (व्यथेते) अपने परिधि अर्थात् मण्डल में इधर-उधर नहीं हिलते हैं और (यत्र) जिसमें (इत्) ही (ध्रुवम्) अन्तरिक्ष (एजत्) चलता हुआ (एकम्) सहायरहित अकेला (विषुणम्) नीचे को प्राप्त है (जातम्) उत्पन्न (पतत्रि) गिरनेवाला (चरत्) प्राप्त होता हुआ (विश्वम्) सम्पूर्ण संसार के (वि, पत्यते) स्वामी के सदृश वर्त्तमान उसको आप लोग जानें ॥८॥
Connotation: - हे मनुष्यो ! इन पृथिवी सूर्य्यरूप अधिकरण और अन्तरिक्ष में संपूर्ण पदार्थ वसते और उत्पन्न होते मरते और नाश को प्राप्त होते हैं, ऐसा जानो ॥८॥
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SWAMI DAYANAND SARSWATI

पुनस्तमेव विषयमाह।

Anvay:

हे विद्वांस य एते महो देवान् बिभ्रती विश्वा जनिमा सं विविक्तो न व्यथेते यत्रेदेव ध्रुवमेजदेकं विषुणं जातं पतत्रि चरद्विश्वं विपत्यते ते यूयं विजानीत ॥८॥

Word-Meaning: - (विश्वा) सर्वाणि (इत्) एव (एते) द्यावापृथिव्यौ (जनिमा) जन्मानि (सम्) (विविक्तः) पृथक् कुर्वतः (महः) महतः (देवान्) दिव्यान् पदार्थान् (बिभ्रती) (न) निषेधे (व्यथेते) स्वस्वपरिधेरितस्ततो न चलतः (एजत्) चलत् (ध्रुवम्) अन्तरिक्षम् (पत्यते) पतिरिवाचरति (विश्वम्) सर्वं जगत् (एकम्) असहायम् (चरत्) प्राप्नुवत् (पतत्रि) पतनशीलम् (विषुणम्) विष्वग्गच्छति (वि) (जातम्) निष्पन्नम् ॥८॥
Connotation: - हे मनुष्या इह पृथिवीसूर्यादिरूपाऽधिकरणेऽन्तरिक्षे च सर्वे पदार्था जीवाश्च वसन्ति जायन्ते म्रियन्ते नश्यन्तीति विदन्तु ॥८॥
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MATA SAVITA JOSHI

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Connotation: - हे माणसांनो! ही पृथ्वी, सूर्य वगैरे सर्व पदार्थ अंतरिक्षात वसतात, उत्पन्न होतात व नाश पावतात हे जाणा. ॥ ८ ॥