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अ॒यम॒स्मान्वन॒स्पति॒र्मा च॒ हा मा च॑ रीरिषत्। स्व॒स्त्या गृ॒हेभ्य॒ आव॒सा आ वि॒मोच॑नात्॥

English Transliteration

ayam asmān vanaspatir mā ca hā mā ca rīriṣat | svasty ā gṛhebhya āvasā ā vimocanāt ||

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Pad Path

अ॒यम्। अ॒स्मान्। वन॒स्पतिः॑। मा। च॒। हाः। मा। च॒। रि॒रि॒ष॒त्। स्व॒स्ति। आ। गृ॒हेभ्यः॑। आ। अ॒व॒सै। आ। वि॒ऽमोच॑नात्॥

Rigveda » Mandal:3» Sukta:53» Mantra:20 | Ashtak:3» Adhyay:3» Varga:22» Mantra:5 | Mandal:3» Anuvak:4» Mantra:20


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SWAMI DAYANAND SARSWATI

अब राजा के पुरुष के विषय को कहते हैं।

Word-Meaning: - हे राजन् ! जैसे (अयम्) यह (वनस्पतिः) वन का पालन करनेवाला (अस्मान्) हम लोगों का त्याग नहीं करता है वैसे हम लोगों का (मा) मत (हाः) त्याग करिये (च) और जैसे सूर्य्य हम लोगों की हिंसा नहीं करता है वैसे ही आप (मा, च) नहीं (रीरिषत्) नाश कीजिये। और (आ, अवसै) अच्छे निश्चय के लिये (आ, गृहेभ्यः) सब प्रकार गृहों से (स्वस्ति) सुख हो (आ, विमोचनात्) त्याग तक सुख प्राप्त होवे ॥२०॥
Connotation: - इस मन्त्र में वाचकलुप्तोपमालङ्कार है। जैसे अन्न आदि वस्तु सबके रक्षक होवें, वैसे राजा के पुरुष सबके पालनकर्त्ता हों और न्याय का त्याग करके अन्याय कभी न करें ॥२०॥
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SWAMI DAYANAND SARSWATI

अथ राजपुरुषविषयमाह।

Anvay:

हे राजन् ! यथाऽयं वनस्पतिरस्मान्न त्यजति तथाऽस्मान्मा हा यथा सूर्य्यश्चाऽस्मान्न हिनस्ति तथैव भवान् मा च रीरिषत्। आवसै आ गृहेभ्यः स्वस्त्या विमोचनात् सुखमागच्छतु ॥२०॥

Word-Meaning: - (अयम्) (अस्मान्) (वनस्पतिः) वनस्य पालकः (मा) (च) (हाः) त्यजेः (मा) (च) (रीरिषत्) हिंस्यात् (स्वस्ति) सुखम् (आ) (गृहेभ्यः) (आ) (अवसै) निश्चयाय। अत्र षो धातोः क्विप् वाच्छन्दसीत्याकारलोपाभावः। (आ) (विमोचनात्) विमोचनमारभ्य ॥२०॥
Connotation: - अत्र वाचकलुप्तोपमालङ्कारः। यथाऽन्नादीनि वस्तूनि सर्वेषां रक्षकाणि स्युस्तथा राजपुरुषाश्च सर्वेषां पालकाः सन्तु न्यायं विहायाऽन्यायं कदाचिन्मा कुर्युः ॥२०॥
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MATA SAVITA JOSHI

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Connotation: - या मंत्रात वाचकलुप्तोपमालंकार आहे. जशा अन्न इत्यादी वस्तू सर्वांचे रक्षण करणाऱ्या असतात तसे राजपुरुषांनी सर्वांचे पालनकर्ता व्हावे व न्यायाचा त्याग करू नये. अन्याय कधी करू नये. ॥ २० ॥