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स्थि॒रौ गावौ॑ भवतां वी॒ळुरक्षो॒ मेषा वि व॑र्हि॒ मा यु॒गं वि शा॑रि। इन्द्रः॑ पात॒ल्ये॑ ददतां॒ शरी॑तो॒ररि॑ष्टनेमे अ॒भि नः॑ सचस्व॥

English Transliteration

sthirau gāvau bhavatāṁ vīḻur akṣo meṣā vi varhi mā yugaṁ vi śāri | indraḥ pātalye dadatāṁ śarītor ariṣṭaneme abhi naḥ sacasva ||

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Pad Path

स्थि॒रौ। गावौ॑। भ॒व॒ता॒म्। वी॒ळुः। अक्षः॑। मा। ई॒षा। वि। व॒र्हि॒। मा। यु॒गम्। वि। शा॒रि॒। इन्द्रः॑। पा॒त॒ल्ये॒३॒॑ इति॑। द॒द॒ता॒म्। शरी॑तोः। अरि॑ष्टऽनेमे। अ॒भि। नः॒। स॒च॒स्व॒॥

Rigveda » Mandal:3» Sukta:53» Mantra:17 | Ashtak:3» Adhyay:3» Varga:22» Mantra:2 | Mandal:3» Anuvak:4» Mantra:17


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SWAMI DAYANAND SARSWATI

फिर उसी विषय को अगले मन्त्र में कहते हैं।

Word-Meaning: - हे (अरिष्टनेमे) नहीं नाश होनेवाले कर्मों को प्राप्त करानेवाले ! आप (इन्द्रः) ऐश्वर्यवाले (शरीतोः) दुष्ट स्वभाव से युक्त के नाश करने में समर्थ हुए (पातल्ये) गिरनेवाले में (ददताम्) दीजिये और (वीळुः) प्रशंसायुक्त (अक्षः) इन्द्रिय के छिद्र को (ईषा) नाश करनेवाला हुआ (स्थिरौ) निश्चल (गावौ) बैलों का (मा) नहीं (वि, शारि) नाश करे (युगम्) वर्ष को (मा) नहीं (वि, वर्हि) बन्ध्या हो जिससे कि निश्चल बैल (भवताम्) होवें जिससे आप (नः) हम लोगों से (अभि, सचस्व) सब प्रकार मिलो ॥१७॥
Connotation: - मनुष्यों को चाहिये कि बड़े उपकार करनेवाले गौ आदि पशुओं का कभी नाश नहीं करें और व्यर्थ समय न बितावें, श्रेष्ठ पुरुषों के साथ सदा ही मेल की रक्षा करें ॥१७॥
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SWAMI DAYANAND SARSWATI

पुनस्तमेव विषयमाह।

Anvay:

हे अरिष्टनेमे भवानिन्द्रः शरीतोः सन् पातल्ये ददतां वीळुरक्ष ईषा सन् स्थिरौ गावौ मा वि शारि युगं मा वि वर्हि यतः स्थिरौ गावौ भवतां तस्मात्त्वं नोऽभि सचस्व ॥१७॥

Word-Meaning: - (स्थिरौ) निश्चलौ (गावौ) वृषभौ (भवताम्) (वीळुः) प्रशंसितः (अक्षः) इन्द्रियछिद्रम् (मा) निषेधे (ईषा) हिंसकः (वि) (वर्हि) उत्सन्नाभूत् (मा) (युगम्) वर्षम् (वि) (शारि) हिंस्यात् (इन्द्रः) ऐश्वर्य्यवान् (पातल्ये) पतनशीले (ददताम्) (शरीतोः) शरीतुं दुष्टस्वभावं हिंसितुं शक्नोति (अरिष्टनेमे) योऽरिष्टान्यहिंसितानि कर्माणि नयति तत्सम्बुद्धौ (अभि) (नः) अस्मान् (सचस्व) ॥१७॥
Connotation: - मनुष्यैर्महोपकारका गवादयः पशवः कदाचिन्नो हिंसनीयः। व्यर्थः समयश्च न गमनीयः सद्भिः सह सदैव सन्धी रक्षणीयः ॥१७॥
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MATA SAVITA JOSHI

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Connotation: - माणसांनी उपकार करणाऱ्या गायी इत्यादी पशूंचा कधी नाश करू नये व व्यर्थ वेळ घालवू नये. श्रेष्ठ पुरुषांबरोबर सदैव संपर्क ठेवावा. ॥ १७ ॥