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इ॒मं कामं॑ मन्दया॒ गोभि॒रश्वै॑श्च॒न्द्रव॑ता॒ राध॑सा प॒प्रथ॑श्च। स्व॒र्यवो॑ म॒तिभि॒स्तुभ्यं॒ विप्रा॒ इन्द्रा॑य॒ वाहः॑ कुशि॒कासो॑ अक्रन्॥

English Transliteration

imaṁ kāmam mandayā gobhir aśvaiś candravatā rādhasā paprathaś ca | svaryavo matibhis tubhyaṁ viprā indrāya vāhaḥ kuśikāso akran ||

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Pad Path

इ॒मम्। काम॑म्। म॒न्द॒य॒। गोभिः॑। अश्वैः॑। च॒न्द्रऽव॑ता। राध॑सा। प॒प्रथः॑। च॒। स्वः॒ऽयवः॑। म॒तिऽभिः॑। तुभ्य॑म्। विप्राः॑। इन्द्रा॑य। वाहः॑। कु॒शि॒कासः॑। अ॒क्र॒न्॥

Rigveda » Mandal:3» Sukta:50» Mantra:4 | Ashtak:3» Adhyay:3» Varga:14» Mantra:4 | Mandal:3» Anuvak:4» Mantra:4


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SWAMI DAYANAND SARSWATI

फिर उसी विषय को अगले मन्त्र में कहते हैं।

Word-Meaning: - हे राजन् ! जो (स्वर्यवः) सुख को प्राप्त कराने (कुशिकासः) संपूर्ण शास्त्रों के सिद्धान्त जानने और (वाहः) प्राप्त करानेवाले (विप्राः) पूर्ण विद्या से युक्त बुद्धिमान् लोग (मतिभिः) मनुष्यों से (इन्द्राय) अत्यन्त धन से युक्त (तुभ्यम्) आपके लिये (इमम्) प्रत्यक्ष (कामम्) मनोरथ को (अक्रन्) करें उन लोगों के इस मनोरथ को (गोभिः) गौ आदि और (अश्वैः) घोड़े आदि और (चन्द्रवता) प्रसिद्ध बहुत सुवर्ण विद्यमान है जिसमें उस (राधसा) धन से आप (पप्रथः) प्रसिद्ध होइये (च) और इनको (मन्दय) पहुँचाइये ॥४॥
Connotation: - जो श्रेष्ठ पुरुषों के साथ अनुकूलता से वर्त्तमान होकर परस्पर ऐश्वर्य्य से और पशु आदि धन आदिकों से इच्छा को पूर्ण करें, वे सदा सुखी होवें ॥४॥
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SWAMI DAYANAND SARSWATI

पुनस्तमेव विषयमाह।

Anvay:

हे राजन् ! ये स्वर्य्यवः कुशिकासो वाहो विप्रा मतिभिरिन्द्राय तुभ्यमिमं काममक्रँस्तेषामिमं कामं गोभिरश्वैश्चन्द्रवता राधसा त्वं पप्रथश्चैतान् मन्दय ॥४॥

Word-Meaning: - (इमम्) प्रत्यक्षम् (कामम्) (मन्दय) प्रापय। अत्र संहितायामिति दीर्घः। (गोभिः) धेन्वादिभिः (अश्वैः) तुरङ्गादिभिः (चन्द्रवता) पुष्कलं चन्द्रं सुवर्णं विद्यते यस्मिँस्तेन। चन्द्र इति हिरण्यना०। निघं०१। २। (राधसा) धनेन (पप्रथः) प्रख्यातो भव (च) अन्यान् प्रख्यापय (स्वर्य्यवः) ये सुखं यावयन्ति मिश्रयन्ति ते (मतिभिः) मनुष्यैः (तुभ्यम्) (विप्राः) पूर्णविद्या मेधाविनः (इन्द्राय) परमैश्वर्य्याय (वाहः) प्रापकाः (कुशिकासः) सर्वशास्त्रसिद्धान्तवेत्तारः (अक्रन्) कुर्युः ॥४॥
Connotation: - यदि सत्पुरुषैः सहाऽऽनुकूल्येन वर्त्तित्वा परस्पराऽनुभूत्या पशुधनादिभिरिच्छामलंकुर्य्युस्ते सदा सुखिनः स्युः ॥४॥
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MATA SAVITA JOSHI

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Connotation: - जे श्रेष्ठ पुरुषांशी अनुकूलतेने वागून परस्पर ऐश्वर्य व पशू इत्यादीद्वारा इच्छा पूर्ण करतात ते सदैव सुखी असतात. ॥ ४ ॥