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ज॒ज्ञा॒नो हरि॑तो॒ वृषा॒ विश्व॒मा भा॑ति रोच॒नम्। हर्य॑श्वो॒ हरि॑तं धत्त॒ आयु॑ध॒मा वज्रं॑ बा॒ह्वोर्हरि॑म्॥

English Transliteration

jajñāno harito vṛṣā viśvam ā bhāti rocanam | haryaśvo haritaṁ dhatta āyudham ā vajram bāhvor harim ||

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Pad Path

ज॒ज्ञा॒नः। हरि॑तः। वृषा॑। विश्व॑म्। आ। भा॒ति॒। रो॒च॒नम्। हरि॑ऽअश्वः। हरि॑तम्। ध॒त्ते॒। आयु॑धम्। आ। वज्र॑म्। बा॒ह्वोः। हरि॑म्॥

Rigveda » Mandal:3» Sukta:44» Mantra:4 | Ashtak:3» Adhyay:3» Varga:8» Mantra:4 | Mandal:3» Anuvak:4» Mantra:4


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SWAMI DAYANAND SARSWATI

अब विद्वान् के विषय को अगले मन्त्र में कहते हैं।

Word-Meaning: - हे विद्वान् लोगो ! जो (जज्ञानः) उत्पन्न होता हुआ (हरितः) हरित आदि वर्णों से युक्त (हर्यश्वः) कामना करते हुए शीघ्र चलनेवाले गुण हैं जिस बिजुली रूप के वह (वृषा) वृष्टिकारक (हरितम्) कामना करने योग्य (रोचनम्) और सब ओर से जिसमें प्रीति करते हैं ऐसे (विश्वम्) संपूर्ण लोक को (बाह्वोः) भुजाओं के (हरितम्) हरनेवाले (वज्रम्) शस्त्रों के सदृश किरणों के समूह को (प्र, आ, धत्ते) धारण करता और (आ, भाति) प्रकाशित होता है, उसको जानकर उपयोग करो ॥४॥
Connotation: - विद्वान् लोग जैसे प्रसिद्ध सूर्य्य संपूर्ण जगत् को प्रकाशित करके आप प्रकाशित होता है, वैसे ही सद्विद्या के उपदेश से धर्म का प्रकाश करावें ॥४॥
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SWAMI DAYANAND SARSWATI

अथ विद्वद्विषयमाह।

Anvay:

हे विद्वांसो ! यो जज्ञानो हरितो हर्यश्वो वृषा हरितरोचनं विश्वं बाह्वोर्हरितं वज्रमायुधमिवाऽऽधत्त आ भाति तं विज्ञायोपयुञ्जत ॥४॥

Word-Meaning: - (जज्ञानः) जायमानः (हरितः) हरितादिवर्णः (वृषा) वृष्टिकरः (विश्वम्) (आ) (भाति) (रोचनम्) रोचन्ते यस्मिँस्तत् (हर्यश्वः) हर्याः कामयमाना आशुगामिनो गुणा यस्य विद्युद्रूपस्य सः (हरितम्) कमनीयम् (धत्ते) धरति (आयुधम्) समन्तात् युध्यन्ति येन तत् (आ) (वज्रम्) शस्त्रमिव किरणसमूहम् (बाह्वोः) भुजयोः (हरिम्) हरणशीलम् ॥४॥
Connotation: - विद्वांसो यथा प्रसिद्धः सूर्यः सर्वं जगत् प्रकाश्य रोचयति तथैव सद्विद्योपदेशेन धर्मं रोचयन्तु ॥४॥
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MATA SAVITA JOSHI

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Connotation: - जसा सूर्य संपूर्ण जगाला प्रकाशित करून स्वतः प्रकाशित होतो तसेच विद्वानांनी सद्विद्येच्या उपदेशाने धर्माचा प्रकाश करावा. ॥ ४ ॥