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अ॒यं ते॑ अस्तु हर्य॒तः सोम॒ आ हरि॑भिः सु॒तः। जु॒षा॒ण इ॑न्द्र॒ हरि॑भिर्न॒ आ ग॒ह्या ति॑ष्ठ॒ हरि॑तं॒ रथ॑म्॥

English Transliteration

ayaṁ te astu haryataḥ soma ā haribhiḥ sutaḥ | juṣāṇa indra haribhir na ā gahy ā tiṣṭha haritaṁ ratham ||

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Pad Path

अ॒यम्। ते॒। अ॒स्तु॒। ह॒र्य॒तः। सोमः॑। आ। हरि॑ऽभिः। सु॒तः। जु॒षा॒णः। इ॒न्द्र॒। हरि॑ऽभिः। नः॒। आ। ग॒हि॒। आ। ति॒ष्ठ॒। हरि॑तम्। रथ॑म्॥

Rigveda » Mandal:3» Sukta:44» Mantra:1 | Ashtak:3» Adhyay:3» Varga:8» Mantra:1 | Mandal:3» Anuvak:4» Mantra:1


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SWAMI DAYANAND SARSWATI

अब पाँच ऋचावाले चवालीसवें सूक्त का आरम्भ है। इसके प्रथम मन्त्र में सूर्य्य के विषय को कहते हैं।

Word-Meaning: - हे (इन्द्र) परम ऐश्वर्य्य की इच्छा करनेवाले ! (हर्यतः) कामना करते हुए (ते) आपके (हरिभिः) घोड़ों के सदृश साधनों से जो (अयम्) यह (सोमः) ऐश्वर्य्यों का समूह (सुतः) प्राप्त हुआ (अस्तु) हो उसका (जुषाणः) सेवन करता हुआ (हरिभिः) ले चलनेवाले घोड़ों से (हरितम्) अग्नि आदिकों से चलाये गये (रथम्) मनोहर यान पर (आ, तिष्ठ) स्थिर हूजिये इससे (नः) हम लोगों को (आ, गहि) प्राप्त हूजिये ॥१॥
Connotation: - इस मन्त्र में वाचकलुप्तोपमालङ्कार है। वे ही लोग दयालु हैं कि जो अन्य जनों के ऐश्वर्य्य की वृद्धि की इच्छा करें और ऐश्वर्य्यवालों को आते हुए देख के प्रसन्न होवें ॥१॥
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SWAMI DAYANAND SARSWATI

अथ सूर्य्यविषयमाह।

Anvay:

हे इन्द्र ! हर्यतस्ते हरिभिर्योऽयं सोमः सुतोऽस्तु तं जुषाणः सन् हरिभिर्हरितं रथमातिष्ठानेन नोऽस्मानागहि ॥१॥

Word-Meaning: - (अयम्) (ते) तव (अस्तु) (हर्यतः) कामयमानस्य (सोमः) ऐश्वर्य्यवृन्दः (आ) (हरिभिः) अश्वैरिव साधनैः (सुतः) प्राप्तः (जुषाणः) सेवमानः (इन्द्र) परमैश्वर्य्यमिच्छो (हरिभिः) हरणशीलैरश्वैः (नः) अस्मान् (आ) (गहि) आगच्छ (आ) (तिष्ठ) (हरितम्) अग्न्यादिभिर्वाहितम् (रथम्) रमणीयं यानम् ॥१॥
Connotation: - अत्र वाचकलुप्तोपमालङ्कारः। त एव दयालवः सन्ति येऽन्येषामैश्वर्यवृद्धिमिच्छेयुरैश्वर्यवत आगतान् दृष्ट्वा प्रसन्ना भवेयुः ॥१॥
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MATA SAVITA JOSHI

या सूक्तात सूर्य, विद्युत, वायू व विद्वानांच्या गुणांचे वर्णन असल्यामुळे या सूक्ताच्या अर्थाची मागच्या सूक्ताच्या अर्थाबरोबर संगती जाणावी.

Word-Meaning: - N/A
Connotation: - या मंत्रात वाचकलुप्तोपमालंकार आहे. तेच लोक दयाळू असतात जे इतरांच्या ऐश्वर्याच्या वृद्धीची इच्छा करतात व ऐश्वर्यवान लोकांना पाहून प्रसन्न होतात. ॥ १ ॥