Go To Mantra

आ त्वा॑ बृ॒हन्तो॒ हर॑यो युजा॒ना अ॒र्वागि॑न्द्र सध॒मादो॑ वहन्तु। प्र ये द्वि॒ता दि॒व ऋ॒ञ्जन्त्याताः॒ सुसं॑मृष्टासो वृष॒भस्य॑ मू॒राः॥

English Transliteration

ā tvā bṛhanto harayo yujānā arvāg indra sadhamādo vahantu | pra ye dvitā diva ṛñjanty ātāḥ susammṛṣṭāso vṛṣabhasya mūrāḥ ||

Mantra Audio
Pad Path

आ। त्वा॒। बृ॒हन्तः॑। हर॑यः। यु॒जा॒नाः। अ॒र्वाक्। इ॒न्द्र॒। स॒ध॒ऽमादः॑। व॒ह॒न्तु॒। प्र। ये। द्वि॒ता। दि॒वः। ऋ॒ञ्जन्ति॑। आताः॑। सुऽस॑म्मृष्टासः। वृ॒ष॒भस्य॑। मू॒राः॥

Rigveda » Mandal:3» Sukta:43» Mantra:6 | Ashtak:3» Adhyay:3» Varga:7» Mantra:6 | Mandal:3» Anuvak:4» Mantra:6


Reads times

SWAMI DAYANAND SARSWATI

फिर उसी विषय को अगले मन्त्र में कहते हैं।

Word-Meaning: - हे (इन्द्र) अत्यन्त सेवा करने योग्य विद्वान् ! (ये) जो (बृहन्तः) बड़े (युजानाः) समाधान देते हुए (सधमादः) समान स्थानवाले (हरयः) उत्तमप्रकार शिक्षित घोड़ों के सदृश अग्नि आदि पदार्थ (त्वा) आपको (आ) सब प्रकार (वहन्तु) एक स्थान से दूसरे स्थान को पहुँचावें और वे तथा (द्विता) दो-दो पदार्थों का होना जैसे वैसे विद्वान् (दिवः) विद्याओं से प्रकाशमानों को (ऋञ्जन्ति) सिद्ध करते हैं (सुसंमृष्टासः) वा श्रेष्ठ रीति से उत्तम प्रकार शुद्ध किये हुए (आताः) व्याप्त हुई दिशाओं के सदृश (वृषभस्य) बलवान् पदार्थ के वेग को (प्र, वहन्तु) प्राप्त हों उनसे जो (मूराः) मूढ़ होवें उन पुरुषों को (अर्वाक्) नीचे के स्थल में आप पहुँचाइये ॥६॥
Connotation: - इस मन्त्र में वाचकलुप्तोपमालङ्कार है। जो विद्वान् लोग घोड़ों के सदृश अभीष्ट स्थान में मूढ़ों को पहुँचाते हैं, वे संपूर्ण समृद्धि सिद्ध कर सकते हैं ॥६॥
Reads times

SWAMI DAYANAND SARSWATI

पुनस्तमेव विषयमाह।

Anvay:

हे इन्द्र ! ये बृहन्तो युजाना सधमादो हरय इव त्वाऽऽवहन्तु द्विता दिव ऋञ्जन्ति सुसंमृष्टास आता इव वृषभस्य वेगं प्रवहन्तु तैर्ये मूरा मूढाः स्युस्तानर्वाक् त्वमावह ॥६॥

Word-Meaning: - (आ) समन्तात् (त्वा) त्वाम् (बृहन्तः) महान्तः (हरयः) सुशिक्षितास्तुरङ्गा इवाऽग्न्यादयः (युजानाः) समादधानाः (अर्वाक्) योऽर्वागञ्चति (इन्द्र) परमपूजनीय (सधमादः) समानस्थानाः (वहन्तु) प्राप्नुवन्तु (प्र) (ये) (द्विता) द्वयोर्भावः (दिवः) विद्याप्रकाशमानान् (ऋञ्जन्ति) साध्नुवन्ति (आताः) व्याप्ता दिशः। आता इति दिङ्ना०। निघं०१। ६। (सुसंमृष्टासः) श्रेष्ठरीत्या सम्यक् शुद्धाः (वृषभस्य) बलिष्ठस्य (मूराः) मूढाः ॥६॥
Connotation: - अत्र वाचकलुप्तोपमालङ्कारः। ये विद्वांसोऽश्वा इवाऽभीष्टस्थाने मूढान् प्रापयन्ति ते समग्रमृद्धिं साद्धुं शक्नुवन्ति ॥६॥
Reads times

MATA SAVITA JOSHI

N/A

Word-Meaning: - N/A
Connotation: - या मंत्रात वाचकलुप्तोपमालंकार आहे. घोडा जसा लोकांना इच्छित स्थानी पोचवितो तसे विद्वान मूढांची वृद्धी करू शकतात. ॥ ६ ॥