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व॒यमि॑न्द्र त्वा॒यवो॑ ह॒विष्म॑न्तो जरामहे। उ॒त त्वम॑स्म॒युर्व॑सो॥

English Transliteration

vayam indra tvāyavo haviṣmanto jarāmahe | uta tvam asmayur vaso ||

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Pad Path

व॒यम्। इ॒न्द्र॒। त्वा॒ऽयवः॑। ह॒विष्म॑न्तः। ज॒रा॒म॒हे॒। उ॒त। त्वम्। अ॒स्म॒ऽयुः। व॒सो॒ इति॑॥

Rigveda » Mandal:3» Sukta:41» Mantra:7 | Ashtak:3» Adhyay:3» Varga:4» Mantra:2 | Mandal:3» Anuvak:4» Mantra:7


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SWAMI DAYANAND SARSWATI

फिर उसी विषय को अगले मन्त्र में कहते हैं।

Word-Meaning: - हे (वसो) निवास के कारण (इन्द्र) ऐश्वर्य्य से और (हविष्मन्तः) बहुत देने योग्य वस्तुओं से युक्त ! (त्वायवः) आपकी कामना करते हुए (वयम्) हम लोग आपकी (जरामहे) प्रशंसा करें (उत) और भी (त्वम्) आप (अस्मयुः) हम लोगों की कामना करते हुए हम लोगों की प्रशंसा करो ॥७॥
Connotation: - जो मनुष्य सब लोगों के गुणों की प्रशंसा और दोषों की निन्दा करें, वे विवेकी अर्थात् विचारशील होके गुणों के ग्रहण करने और दोषों के त्याग करने को समर्थ होते हैं ॥७॥
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SWAMI DAYANAND SARSWATI

पुनस्तमेव विषयमाह।

Anvay:

हे वसो इन्द्र ! हविष्मन्तो त्वायवो वयं त्वां जरामहे उतापि त्वमस्मयुः सन्नस्मान् स्तुहि ॥७॥

Word-Meaning: - (वयम्) (इन्द्र) ऐश्वर्य्ययुक्त (त्वायवः) त्वत्कामयमानाः (हविष्मन्तः) बहूनि हवींषि दातव्यानि वस्तूनि विद्यन्ते येषान्ते (जरामहे) प्रशंसेम (उत) अपि (त्वम्) (अस्मयुः) अस्मान् कामयमानः (वसो) वासहेतो ॥७॥
Connotation: - ये मनुष्याः सर्वेषां गुणानां प्रशंसां दोषाणां निन्दां कुर्य्युस्ते विवेकिनो भूत्वा गुणान् ग्रहीतुं दोषाँस्त्यक्तुं समर्था भवन्ति ॥७॥
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MATA SAVITA JOSHI

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Connotation: - जी माणसे सर्व लोकांच्या गुणांची प्रशंसा व दोषांची निंदा करतात ती विवेकी अर्थात् विचारशील बनून गुणांचे ग्रहण करण्यास व दोषांचा त्याग करण्यास समर्थ असतात. ॥ ७ ॥