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स॒प्त हो॒त्राणि॒ मन॑सा वृणा॒ना इन्व॑न्तो॒ विश्वं॒ प्रति॑ यन्नृ॒तेन॑। नृ॒पेश॑सो वि॒दथे॑षु॒ प्र जा॒ता अ॒भी॒३॒॑मं य॒ज्ञं वि च॑रन्त पू॒र्वीः॥

English Transliteration

sapta hotrāṇi manasā vṛṇānā invanto viśvam prati yann ṛtena | nṛpeśaso vidatheṣu pra jātā abhīmaṁ yajñaṁ vi caranta pūrvīḥ ||

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Pad Path

स॒प्त। हो॒त्राणि॑। मन॑सा। वृ॒णा॒नाः। इन्व॑न्तः। विश्व॑म्। प्रति॑। य॒न्। ऋ॒तेन॑। नृ॒ऽपेश॑सः। वि॒दथे॑षु। प्र। जा॒ताः। अ॒भि। इ॒मम्। य॒ज्ञम्। वि। च॒र॒न्त॒। पू॒र्वीः॥

Rigveda » Mandal:3» Sukta:4» Mantra:5 | Ashtak:2» Adhyay:8» Varga:22» Mantra:5 | Mandal:3» Anuvak:1» Mantra:5


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SWAMI DAYANAND SARSWATI

फिर उसी विषय को अगले मन्त्र में कहा है।

Word-Meaning: - जो (विदथेषु) यज्ञों में (प्रजाताः) उत्पन्न हुए (नृपेशसः) मनुष्यों के रूप के समान जिनका रूप वे पदार्थ (मनसा) विज्ञान से (सप्तहोत्राणि) सात प्रकार के हवन सम्बन्धी कामों को (वृणानाः) स्वीकार करते और (विश्वम्) समस्त जगत् को (इन्वन्तः) व्याप्त होते हुए (ऋतेन) जल के साथ (इमम्) इस (यज्ञम्) यज्ञ को (अभि) सब ओर से जिससे विश्व को (प्रतियन्) प्रतीति से प्राप्त होते हैं तथा (पूर्वीः) पूर्व सिद्ध हुई आहुतियाँ (विचरन्त) विशेषता से प्राप्त होतीं वह यज्ञ सब विद्वानों को करने योग्य है ॥५॥
Connotation: - जो मनुष्य सुगन्ध्यादियुक्त पदार्थों के अग्नि में छोड़ने से वायु, वृष्टि, जल, ओषधि और अन्नों को अच्छे प्रकार शोधें, तो सब आरोग्यपन को प्राप्त हों ॥५॥
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SWAMI DAYANAND SARSWATI

पुनस्तमेव विषयमाह।

Anvay:

ये विदथेषु प्रजाता नृपेशसो मनसा सप्त होत्राणि वृणाना विश्वमिन्वता ऋतेनेमं यज्ञमभियेन विश्वं प्रतियन् पूर्वीराहुतयो विचरन्त स यज्ञः सर्वैरनुष्ठेयः ॥५॥

Word-Meaning: - (सप्त) सप्तविधानि (होत्राणि) हवनसम्बन्धीनि कर्माणि (मनसा) विज्ञानेन (वृणानाः) स्वीकुर्वाणाः (इन्वन्तः) व्याप्नुवन्तः (विश्वम्) सर्वं जगत् (प्रति) (यन्) प्राप्नुवन्ति (ऋतेन) जलेन। ऋतमित्युदकनाम०। निघं०१। १२। (नृपेशसः) नृणां पेशो रूपमिव रूपं येषान्ते (विदथेषु) यज्ञेषु (प्र) (जाताः) प्रादुर्भूताः (अभि) सर्वतः (इमम्) ) (यज्ञम्) (वि) (चरन्त) विचरन्तु। अत्र व्यत्ययेनात्मनेपदम्। (पूर्वीः) पूर्वं सम्पादिताः ॥५॥
Connotation: - यदि मनुष्याः सुगन्ध्यादियुक्तानां द्रव्याणां वह्नौ प्रक्षेपेण वायुवृष्टिजलौषध्यन्नानि संशोधयेयुस्तर्हि सर्वमारोग्यमाप्नुयुः ॥५॥
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MATA SAVITA JOSHI

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Connotation: - जी माणसे सुगंध इत्यादी पदार्थ अग्नीमध्ये टाकतात व वायू, जल, वृष्टी, औषधी आणि अन्नाचे चांगल्या प्रकारे संशोधन करतात तेव्हा सर्वांना आरोग्य प्राप्त होते. ॥ ५ ॥