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ज्योति॑र्य॒ज्ञाय॒ रोद॑सी॒ अनु॑ ष्यादा॒रे स्या॑म दुरि॒तस्य॒ भूरेः॑। भूरि॑ चि॒द्धि तु॑ज॒तो मर्त्य॑स्य सुपा॒रासो॑ वसवो ब॒र्हणा॑वत्॥

English Transliteration

jyotir yajñāya rodasī anu ṣyād āre syāma duritasya bhūreḥ | bhūri cid dhi tujato martyasya supārāso vasavo barhaṇāvat ||

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Pad Path

ज्योतिः॑। य॒ज्ञाय॑। रोद॑सी॒ इति॑। अनु॑। स्या॒त्। आ॒रे। स्या॒म॒। दुः॒ऽइ॒तस्य॑। भूरेः॑। भूरि॑। चि॒त्। हि। तु॒ज॒तः। मर्त्य॑स्य। सु॒ऽपा॒रासः॑। व॒स॒वः॒। ब॒र्हणा॑ऽवत्॥

Rigveda » Mandal:3» Sukta:39» Mantra:8 | Ashtak:3» Adhyay:2» Varga:26» Mantra:3 | Mandal:3» Anuvak:4» Mantra:8


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SWAMI DAYANAND SARSWATI

फिर उसी विषय को अगले मन्त्र में कहते हैं।

Word-Meaning: - हे मनुष्यो ! जैसे (सुपारासः) सुन्दर विद्या का पार है जिनका और (वसवः) विद्याओं में स्वयं वसते वा अन्य जनों को वसाते वह हम लोग (यज्ञाय) विद्वानों के सत्कार आदि अनुष्ठान के लिये (रोदसी) भूमि और प्रकाश के सदृश विद्या और नीति को (आरे) दूर वा समीप में (दुरितस्य) दुःख से प्राप्त हुए (भूरेः) बहुत का (भूरि) बहुत (चित्) भी (तुजतः) बलवान् (मर्त्यस्य) मनुष्य का (बर्हणावत्) वृद्धिकारक विज्ञान वा धन जिसमें विद्यमान ऐसा (ज्योतिः) सूर्य के प्रकाश के सदृश विज्ञान का प्रकाश (स्यात्) होवे ऐसी कामना करते हुए (अनु) पीछे (स्याम) होवें वैसे (हि) ही आप हूजिये ॥८॥
Connotation: - वे ही श्रेष्ठ पुरुष हैं, जो लोग दूर और समीप में वर्त्तमान पुरुषों में कृपा का अनुसन्धान विद्या और उपदेश का प्रचार करके बड़े कठिन बोध की सरलता को उत्पन्न करें, वे ही सब लोगों को सत्कार करने योग्य होवें ॥८॥
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SWAMI DAYANAND SARSWATI

पुनस्तमेव विषयमाह।

Anvay:

हे मनुष्या यथा सुपारासो वसवो वयं यज्ञाय रोदसी इवारे दुरितस्य भूरेर्भूरि चित्तुजतो मर्त्यस्य बर्हणावज्ज्योतिः स्यादिति कामयमाना अनुष्याम तथाहि भवन्तो भवन्तु ॥८॥

Word-Meaning: - (ज्योतिः) सूर्य्यप्रकाश इव विज्ञानदीप्तिः (यज्ञाय) विद्वत्सत्काराद्यनुष्ठानाय (रोदसी) भूमिप्रकाशाविव विद्यानयौ (अनु) पश्चात् (स्यात्) भवेत् (आरे) दूरे समीपे वा (स्याम) (दुरितस्य) दुःखेनेतस्य प्राप्तस्य (भूरेः) बहोः (भूरि) बहु (चित्) अपि (हि) यतः (तुजतः) बलवतः (मर्त्यस्य) मनुष्यस्य (सुपारासः) शोभनो विद्यायाः पारो येषान्ते (वसवः) ये विद्यासु वसन्त्यन्यान् वासयन्ति ते (बर्हणावत्) बर्हणं वृद्धिकारकं विज्ञानं धनं वा विद्यते यस्मिंस्तत् ॥८॥
Connotation: - त एवाप्ता ये दूरस्थेषु समीपस्थेषु च कृपामनुसंधाय विद्योपदेशौ प्रचार्य्यातिकठिनस्य बोधस्य सुगमतां संपादयेयुस्त एव सर्वैः सत्कर्त्तव्या भवन्तु ॥८॥
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MATA SAVITA JOSHI

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Connotation: - जे दूर व समीप असलेल्या पुरुषांवर कृपा करून विद्या व उपदेशाचा प्रचार करतात. कठीण बोध असलेल्याला सुलभ करतात. तेच श्रेष्ठ पुरुष असतात. त्यांचाच सर्वांना सत्कार करावा. ॥ ८ ॥