दि॒वश्चि॒दा पू॒र्व्या जाय॑माना॒ वि जागृ॑विर्वि॒दथे॑ श॒स्यमा॑ना। भ॒द्रा वस्त्रा॒ण्यर्जु॑ना॒ वसा॑ना॒ सेयम॒स्मे स॑न॒जा पित्र्या॒ धीः॥
divaś cid ā pūrvyā jāyamānā vi jāgṛvir vidathe śasyamānā | bhadrā vastrāṇy arjunā vasānā seyam asme sanajā pitryā dhīḥ ||
दि॒वः। चि॒त्। आ। पू॒र्व्या। जाय॑माना। वि। जागृ॑विः। वि॒दथे॑ शस्यमा॑ना। भ॒द्रा। व॒स्त्रा॒णि। अर्जु॑ना। वसा॑ना। सा। इ॒यम्। अ॒स्मे इति॑। स॒न॒ऽजा। पित्र्या॑। धीः॥
SWAMI DAYANAND SARSWATI
फिर उसी विषय को अगले मन्त्र में कहते हैं।
SWAMI DAYANAND SARSWATI
पुनस्तमेव विषयमाह।
हे मनुष्या याऽस्मे दिवो जायमाना पूर्व्या विदथे जागृविः शस्यमाना भद्राऽर्जुना वस्त्राणि वसाना सुन्दरी स्त्रीव सनजा पित्र्या धीर्विजायते सेयं युष्मासु चिदा जायताम् ॥२॥
MATA SAVITA JOSHI
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