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इ॒मं नरः॒ पर्व॑ता॒स्तुभ्य॒मापः॒ समि॑न्द्र॒ गोभि॒र्मधु॑मन्तमक्रन्। तस्या॒गत्या॑ सु॒मना॑ ऋष्व पाहि प्रजा॒नन्वि॒द्वान्प॒थ्या॒३॒॑ अनु॒ स्वाः॥

English Transliteration

imaṁ naraḥ parvatās tubhyam āpaḥ sam indra gobhir madhumantam akran | tasyāgatyā sumanā ṛṣva pāhi prajānan vidvān pathyā anu svāḥ ||

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Pad Path

इ॒मम्। नरः॑। पर्व॑ताः। तुभ्य॑म्। आपः॑। सम्। इ॒न्द्र॒। गोभिः॑। मधु॑ऽमन्तम्। अ॒क्र॒न्। तस्य॑। आ॒ऽगत्य॑। सु॒ऽमनाः॑। ऋ॒ष्व॒। पा॒हि॒। प्र॒ऽजा॒नन्। वि॒द्वान्। प॒थ्याः॑। अनु॑। स्वाः॥

Rigveda » Mandal:3» Sukta:35» Mantra:8 | Ashtak:3» Adhyay:2» Varga:18» Mantra:3 | Mandal:3» Anuvak:3» Mantra:8


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SWAMI DAYANAND SARSWATI

फिर उसी विषय को अगले मन्त्र में कहते हैं।

Word-Meaning: - हे (ऋष्व) विद्या से पूर्ण (इन्द्र) अत्यन्त ऐश्वर्य्य की प्राप्ति करानेवाले जो (नरः) प्रधान पुरुष ! (तुभ्यम्) आपके लिये (पर्वताः) मेघ और (आपः) जल के समान (गोभिः) पृथिवी आदि पदार्थों के सहित (इमम्) इस वर्त्तमान (मधुमन्तम्) मधुर आदि बहुत रसों से युक्त पदार्थ को (सम्, अक्रन्) अच्छे प्रकार करें उनका (पाहि) पालन करो (सुमनाः) और ईर्ष्या रहित मनवाले आप (प्रजानन्, विद्वान्) जानते और विद्वान् होते हुए (तस्य) उस काम की (स्वाः, पथ्याः) मार्ग से निज चालियों को (आगत्य) प्राप्त होकर सबका (अनु) पालन करो ॥८॥
Connotation: - इस मन्त्र में वाचकलुप्तोपमालङ्कार है। जैसे वृष्टियों से सबका पालन होता है, वैसे ही विमान आदि वाहन बनानेवाले जन संसार में सबके रक्षा करनेवाले होते हैं ॥८॥
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SWAMI DAYANAND SARSWATI

पुनस्तमेव विषयमाह।

Anvay:

हे ऋष्वेन्द्र ! ये नरस्तुभ्यं पर्वता आपश्चेव गोभिरिमं मधुमन्तं समक्रँस्तान्पाहि। सुमनाः प्रजानन् विद्वान्सँस्तस्य स्वाः पथ्या आगत्य सर्वाननुपाहि ॥८॥

Word-Meaning: - (इमम्) (नरः) नायकाः (पर्वताः) मेघाः (तुभ्यम्) (आपः) जलानि (सम्) (इन्द्र) परमैश्वर्य्यप्रापक (गोभिः) पृथिव्यादिभिस्सह (मधुमन्तम्) मधुरादिबहुरसयुक्तम् (अक्रन्) कुर्युः (तस्य) (आगत्य)। अत्र संहितायामिति दीर्घः। (सुमनाः) शोभनं निरीर्ष्यकं मनो यस्य सः (ऋष्व) प्राप्तविद्य (पाहि) (प्रजानन्) (विद्वान्) (पथ्याः) पथोऽनपेताः (अनु) (स्वाः) स्वकीया गतीः ॥८॥
Connotation: - अत्र वाचकलुप्तोपमालङ्कारः। यथा वर्षाभिः सर्वेषां पालनं जायते तथैव विमानादेर्यानस्य निर्मातारो जगत्यां सर्वेषां रक्षका भवन्ति ॥८॥
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MATA SAVITA JOSHI

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Connotation: - या मंत्रात वाचकलुप्तोपमालंकार आहे. जसे वृष्टीमुळे सर्वांचे पालन होते, तसेच विमान इत्यादी वाहन बनविणारे लोक जगात सर्वांचे रक्षण करणारे असतात. ॥ ८ ॥