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उपा॑जि॒रा पु॑रुहू॒ताय॒ सप्ती॒ हरी॒ रथ॑स्य धू॒र्ष्वा यु॑नज्मि। द्र॒वद्यथा॒ संभृ॑तं वि॒श्वत॑श्चि॒दुपे॒मं य॒ज्ञमा व॑हात॒ इन्द्र॑म्॥

English Transliteration

upājirā puruhūtāya saptī harī rathasya dhūrṣv ā yunajmi | dravad yathā sambhṛtaṁ viśvataś cid upemaṁ yajñam ā vahāta indram ||

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Pad Path

उप॑। अ॒जि॒रा। पु॒रु॒ऽहू॒ताय॑। सप्ती॒ इति॑। हरी॒ इति॑। रथ॑स्य। धूः॒ऽसु। आ। यु॒न॒ज्मि॒। द्र॒वत्। यथा॑। सम्ऽभृ॑तम्। वि॒श्वतः॑। चि॒त्। उप॑। इ॒मम्। य॒ज्ञम्। आ। व॒हा॒तः॒। इन्द्र॑म्॥

Rigveda » Mandal:3» Sukta:35» Mantra:2 | Ashtak:3» Adhyay:2» Varga:17» Mantra:2 | Mandal:3» Anuvak:3» Mantra:2


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SWAMI DAYANAND SARSWATI

फिर उसी विषय को अगले मन्त्र में कहते हैं।

Word-Meaning: - हे मनुष्यो ! (यथा) जैसे मैं जो (इमम्) इस प्रत्यक्ष (यज्ञम्) शिल्प विद्या से होने योग्य (इन्द्रम्) अत्यन्त ऐश्वर्य्यवान् काम को सब प्रकार चलाते (विश्वतः) वा सब ओर से (द्रवत्) पिघलने को प्राप्त होते हुए (सम्भृतम्) उत्तम प्रकार धारण किये गये पदार्थ को (चित्) भी (उप) समीप में (आ, वहातः) वहाते उन (पुरुहूताय) बहुतों ने बुलाये गये के लिये वर्त्तमान (अजिरा) वाहनों के फेंकने (सप्ती) शीघ्र चलने (हरी) और यान को ले जानेवाले का (रथस्य) वाहन की (धूर्षु) धुरियों में जिनको (उप, आ, युनज्मि) जोड़ता हूँ, उनको आप लोग भी जोड़िये ॥२॥
Connotation: - जो लोग वाहनों में बिजुली आदि पदार्थों को संयुक्त करके चलाते हैं, वे किस-किस देश को न जा सकैं ? और उनको कौनसा ऐश्वर्य्य है जो न प्राप्त होवै ? ॥२॥
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SWAMI DAYANAND SARSWATI

पुनस्तमेव विषयमाह।

Anvay:

हे मनुष्या यथाऽहं याविमं यज्ञमिन्द्रमावहातो विश्वतो द्रवत्सम्भृतं चिदप्युपावहातस्तौ पुरुहूताय वर्त्तमानावजिरा सप्ती हरी रथस्य धूर्षु युनज्मि तौ यूयमपि युङ्ग्ध्वम् ॥२॥

Word-Meaning: - (उप) (अजिरा) यानानां प्रक्षेप्तारौ (पुरुहूताय) बहुभिराहूताय (सप्ती) सद्यः सर्पन्तौ। अत्र वाच्छन्दसीति गुणे कृते रेफलोपः। (हरी) हरणशीलौ (रथस्य) यानस्य (धूर्षु) रथाधारावयवेषु (आ) समन्तात् (युनज्मि) (द्रवत्) द्रवं प्राप्नुवत् (यथा) (सम्भृतम्) सम्यग्धृतम् (विश्वतः) सर्वतः (चित्) अपि (उप) (इमम्) प्रत्यक्षम् (यज्ञम्) शिल्पविद्यासाध्यम् (आ) (वहातः) वहेताम् (इन्द्रम्) परमैश्वर्य्यम् ॥२॥
Connotation: - ये यानेषु विद्युदादिपदार्थान्संयोज्य चालयन्ति ते कं कं देशं न गच्छेयुः? तेषां किमैश्वर्य्यमप्राप्तं स्यात् ॥२॥
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MATA SAVITA JOSHI

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Connotation: - जे लोक वाहनात विद्युत इत्यादी पदार्थांना संयुक्त करून चालवितात ते कोणत्या देशाला जाऊ शकणार नाहीत? व त्यांना कोणते ऐश्वर्य प्राप्त होणार नाही? ॥ २ ॥