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म॒हो म॒हानि॑ पनयन्त्य॒स्येन्द्र॑स्य॒ कर्म॒ सुकृ॑ता पु॒रूणि॑। वृ॒जने॑न वृजि॒नान्त्सं पि॑पेष मा॒याभि॒र्दस्यूँ॑र॒भिभू॑त्योजाः॥

English Transliteration

maho mahāni panayanty asyendrasya karma sukṛtā purūṇi | vṛjanena vṛjinān sam pipeṣa māyābhir dasyūm̐r abhibhūtyojāḥ ||

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Pad Path

म॒हः। म॒हानि॑। प॒न॒य॒न्ति॒। अ॒स्य॒। इन्द्र॑स्य। कर्म॑। सुऽकृ॑ता। पु॒रूणि॑। वृ॒जने॑न। वृ॒जि॒नान्। सम्। पि॒पे॒ष॒। मा॒याभिः॑। दस्यू॑न्। अ॒भिभू॑तिऽओजाः॥

Rigveda » Mandal:3» Sukta:34» Mantra:6 | Ashtak:3» Adhyay:2» Varga:16» Mantra:1 | Mandal:3» Anuvak:3» Mantra:6


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SWAMI DAYANAND SARSWATI

फिर राजा तथा प्रजाजनों के कर्त्तव्य विषय को कहते हैं।

Word-Meaning: - जो (अभिभूत्योजाः) शत्रुपराजय करनेवाले बल से युक्त राजपुरुष (वृजनेन) बल और (मायाभिः) बुद्धियों से (वृजिनान्) पापी (दस्यून्) साहसी चोरों को (सम्) (पिपेष) पीसै और जो (अस्य) इस (महः) श्रेष्ठ (इन्द्रस्य) सम्पूर्ण ऐश्वर्ययुक्त पुरुष के (पुरूणि) बहुत (महानि) बड़े (सुकृता) उत्तम धर्म के योग से किये गये (कर्म) कार्य्यों की (पनयन्ति) प्रशंसा करते हैं, उनका ग्रहण करै, वही पुरुष राजा का मन्त्री होने योग्य होवे ॥६॥
Connotation: - जैसे राजा और प्रजाजनों को सब लोगों के स्वामी के धर्मयुक्त कर्म स्वीकार करने योग्य हैं, वैसे ही सबके स्वामी राजा को चाहिये कि सब लोगों के उत्तम आचरणों का स्वीकार करै और अनिष्ट आचरणों का स्वीकार कोई न करैं ॥६॥
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SWAMI DAYANAND SARSWATI

पुना राजप्रजापुरुषैरनुष्ठेयमाह।

Anvay:

योऽभिभूत्योजा वृजनेन मायाभिर्वृजिनान्दस्यून् संपिपेष यान्यस्य मह इन्द्रस्य पुरूणि महानि सुकृता कर्म पनयन्ति तानि सङ्गृह्णीयात्स एव राजाऽमात्यतामर्हेत् ॥६॥

Word-Meaning: - (महः) महतः (महानि) महान्ति (पनयन्ति) पनायन्ति प्रशंसन्ति। अत्र वाच्छन्दसीति ह्रस्वः। (अस्य) वर्त्तमानस्य (इन्द्रस्य) सकलैश्वर्ययुक्तस्य (कर्म) कर्माणि (सुकृता) शोभनेन धर्मयोगेन कृतानि (पुरूणि) बहूनि (वृजनेन) बलेन (वृजिनान्) पापान् (सम्) (पिपेष) पिष्यात् (मायाभिः) प्रज्ञाभिः (दस्यून्) साहसेन उत्कोचकान् चोरान् (अभिभूत्योजाः) अभिभूतिपराजयकरमोजो बलं यस्य सः ॥६॥
Connotation: - यथा राजप्रजाजनैः सर्वाधीशस्य धर्म्याणि कर्माणि स्वीकर्त्तव्यानि सन्ति तथैव सर्वाऽधिष्ठात्रा राज्ञा सर्वेषामुत्तमान्याचरणानि स्वीकर्त्तव्यानि नेतराणि केनचित् ॥६॥
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MATA SAVITA JOSHI

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Connotation: - जसे सर्वाधीशाचे धार्मिक कर्म राजजनांनी स्वीकार करण्यायोग्य असतात, तसेच सर्वाधीश राजाने सर्व लोकांच्या उत्तम आचरणाचा स्वीकार करावा. अनिष्ट आचरणाचा कोणी स्वीकार करू नये. ॥ ६ ॥