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इन्द्रे॑षिते प्रस॒वं भिक्ष॑माणे॒ अच्छा॑ समु॒द्रं र॒थ्ये॑व याथः। स॒मा॒रा॒णे ऊ॒र्मिभिः॒ पिन्व॑माने अ॒न्या वा॑म॒न्यामप्ये॑ति शुभ्रे॥

English Transliteration

indreṣite prasavam bhikṣamāṇe acchā samudraṁ rathyeva yāthaḥ | samārāṇe ūrmibhiḥ pinvamāne anyā vām anyām apy eti śubhre ||

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Pad Path

इन्द्रे॑षिते॒ इतीन्द्र॑ऽइषिते। प्र॒ऽस॒वम्। भिक्ष॑माणे॒ इति॑। अच्छ॑। स॒मु॒द्रम्। र॒थ्या॑ऽइव। या॒थः॒। स॒मा॒रा॒णे इति॑ स॒म्ऽआ॒रा॒णे। ऊ॒र्मिऽभिः॑। पिन्व॑माने॒ इति॑। अ॒न्या। वा॒म्। अ॒न्याम्। अपि॑। ए॒ति॒। शु॒भ्रे॒ इति॑॥

Rigveda » Mandal:3» Sukta:33» Mantra:2 | Ashtak:3» Adhyay:2» Varga:12» Mantra:2 | Mandal:3» Anuvak:3» Mantra:2


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SWAMI DAYANAND SARSWATI

फिर उसी विषय को अगले मन्त्र में कहते हैं।

Word-Meaning: - हे मनुष्यो ! जो (इन्द्रेषिते) सूर्य्य से वृष्टि के द्वारा प्रेरित की गईं (पिन्वमाने) सींचनेवाली (ऊर्भिभिः) तरङ्गों से (समुद्रम्) बहनेवाले जलों से युक्त मेघ वा सागर को (रथ्येव) रथों में चलने योग्य घोड़ों वा नदियों के सदृश (प्रसवम्) उत्तम ऐश्वर्य्य की (भिक्षमाणे) याचना करती हुईं (समाराणे) उत्तम प्रकार सब तरह दान देनेवाली (शुभ्रे) शोभायुक्त होकर पढ़ाने और उपदेश करनेवाली स्त्रियाँ (अच्छ, याथः) अच्छे प्रकार जावें (अन्या) कोई एक स्त्री (अन्याम्) दूसरी स्त्री को (अपि) (एति) प्रीति से मिलाती है वा हे पढ़ाने और उपदेश देनेवालियो ! (वाम्) तुम दोनों के सम्बन्ध से जो स्त्रियाँ पढ़ने वा सुनने को प्राप्त हों, वे स्त्रियाँ तुमको विद्यासम्बन्धी व्यवहार में नियुक्त करनी तथा पढ़ानी चाहियें ॥२॥
Connotation: - इस मन्त्र में उपमा और वाचकलुप्तोपमालङ्कार है। जैसे जवान स्त्रियाँ जवान पतियों को प्राप्त होके गर्भोत्पत्ति की इच्छा करती हैं और नदियाँ समुद्र के प्रति जाती हैं और घोड़े मार्ग में रथ को ले चलते हैं, वैसे ही पढ़ने और उपदेश देनेवालियों को चाहिये कि विद्या और उत्तम शिक्षा के दान से सम्पूर्ण स्त्रियों को उत्तम गुणकर्म स्वभावयुक्त करें ॥२॥
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SWAMI DAYANAND SARSWATI

पुनस्तमेव विषयमाह।

Anvay:

हे मनुष्या ये इन्द्रेषिते पिन्वमाने ऊर्मिभिः समुद्रं रथ्येव नद्याविव प्रसवं भिक्षमाणे समाराणे शुभ्रे अध्यापिकोपदेशिके अच्छ याथः। अन्या अन्यामप्येतीव हे अध्यापिकोपदेशिके वामध्येतुं श्रोतुं वा प्राप्नुयुस्ता युवाभ्यां विद्याव्यवहारे नियोजनीया अध्यापनीयाश्च ॥२॥

Word-Meaning: - (इन्द्रेषिते) इन्द्रेण सूर्य्येण वर्षाद्वारा प्रेरिते (प्रसवम्) प्रकृष्टमैश्वर्य्यम् (भिक्षमाणे) (अच्छ) सम्यक्। अत्र निपातस्य चेति दीर्घः। (समुद्रम्) समुद्द्रवन्त्यापो यस्मिँस्तं मेघं सागरं वा। समुद्र इति मेघना०। निघं० १। १०। (रथ्येव) रथेषु साधू अश्वा इव (याथः) गच्छथः (समाराणे) सम्यक् समन्ताद्राणं दानं ययोस्ते (ऊर्मिभिः) तरङ्गैः (पिन्वमाने) सेक्त्र्यौ (अन्या) भिन्ना (वाम्) युवयोः (अन्याम्) (अपि) (एति) (शुभ्रे) शोभायमाने ॥२॥
Connotation: - अत्रोपमावाचकलुप्तोपमालङ्कारः। यथा युवतयो यूनः पतीन् प्राप्य प्रसवमिच्छन्ति नद्यः समुद्रं गच्छन्त्यश्वा मार्गे रथं नयन्ति तथैवाऽध्यापिकोपदेशिकाभिर्विद्यासुशिक्षादानेन सर्वाः स्त्रियः शुभगुणकर्मस्वभावाः सम्पादनीयाः ॥२॥
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MATA SAVITA JOSHI

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Connotation: - भावार्थ -या मंत्रात उपमा व वाचकलुप्तोपमालंकार आहेत. जशा तरुण स्त्रिया तरुण पतींना प्राप्त होतात व गर्भोत्त्पत्तीची इच्छा करतात, नद्या समुद्राकडे जातात व घोडे रथासह मार्गाने जातात, तसे शिकणाऱ्या व उपदेश करणाऱ्या स्त्रियांनी उत्तम शिक्षण व दान यांनी सर्व स्त्रियांना उत्तम गुणकर्मस्वभावयुक्त करावे. ॥ २ ॥