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नि ग॑व्य॒ता मन॑सा सेदुर॒र्कैः कृ॑ण्वा॒नासो॑ अमृत॒त्वाय॑ गा॒तुम्। इ॒दं चि॒न्नु सद॑नं॒ भूर्ये॑षां॒ येन॒ मासाँ॒ असि॑षासन्नृ॒तेन॑॥

English Transliteration

ni gavyatā manasā sedur arkaiḥ kṛṇvānāso amṛtatvāya gātum | idaṁ cin nu sadanam bhūry eṣāṁ yena māsām̐ asiṣāsann ṛtena ||

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Pad Path

नि। ग॒व्य॒ता। मन॑सा। से॒दुः॒। अ॒र्कैः। कृ॒ण्वा॒नासः॑। अ॒मृ॒त॒ऽत्वाय॑। गा॒तुम्। इ॒दम्। चि॒त्। नु। सद॑नम्। भूरि॑। ए॒षा॒म्। येन॑। मासा॑न्। असि॑सासन्। ऋ॒तेन॑॥

Rigveda » Mandal:3» Sukta:31» Mantra:9 | Ashtak:3» Adhyay:2» Varga:6» Mantra:4 | Mandal:3» Anuvak:3» Mantra:9


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SWAMI DAYANAND SARSWATI

अब मोक्ष की इच्छा करनेवालों को क्या करना चाहिये, इस विषय को अगले मन्त्र में कहा है।

Word-Meaning: - हे मनुष्यो ! जैसे (कृण्वानासः) करते हुए जन (गव्यता) अपनी वाणी के सदृश (मनसा) अन्तःकरण से (अर्कैः) सत्कार करने योग्य विद्वानों के साथ (अमृतत्वाय) मोक्ष के होने के लिये (गातुम्) प्रशंसायुक्त भूमि को (नि, सेदुः) प्राप्त होवें तथा (इदम्) इस (चित्) भी (भूरि) बहुत (सदनम्) प्राप्त होने योग्य स्थान को प्राप्त होवें (येन) जिस (ऋतेन) सत्य आचरण से (मासान्) चैत्र आदि महीनों के (असिषासन्) विभाग करने की इच्छा करें, उससे (एषाम्) इन पुरुषों का कल्याण (नु) शीघ्र होता है ॥९॥
Connotation: - जो मनुष्य लोग मोक्ष की इच्छा करें, तो विद्वानों का सङ्ग धर्म का अनुष्ठान और अधर्म का त्याग करके शीघ्र ही अन्तःकरण और आत्मा की शुद्धि करें ॥९॥
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SWAMI DAYANAND SARSWATI

अथ मोक्षमिच्छुभिः किं कार्यमित्याह।

Anvay:

हे मनुष्या यथा कृण्वानासो गव्यता मनसार्कैः सहाऽमृतत्वाय गातुं निसेदुरिदं चिद्भूरि सदनं सेदुर्येनर्त्तेन मासानसिषासँस्तेनैषां कल्याणं नु जायते ॥९॥

Word-Meaning: - (नि) नित्यम् (गव्यता) आत्मनो गौरिवाचरता (मनसा) अन्तःकरणेन (सेदुः) प्राप्नुयुः (अर्कैः) अर्चनीयैर्विद्वद्भिः सह (कृण्वानासः) कुर्वन्तः (अमृतत्वाय) अमृतस्य मोक्षस्य भावाय (गातुम्) प्रशंसितां भूमिम्। गातुरिति पृथिवीना०। निघं० १। १। (इदम्) (चित्) अपि (नु) सद्यः (सदनम्) सीदन्ति यत्र तत् (भूरि) बहु (एषाम्) वर्त्तमानानाम् (येन) (मासान्) चैत्रादीन् (असिषासन्) विभक्तुमिच्छन्तु (ऋतेन) सत्याचरणेन ॥९॥
Connotation: - यदि मनुष्या मोक्षमिच्छेयुस्तर्हि तैर्विद्वत्सङ्गधर्माऽनुष्ठानं कृत्वाऽधर्मत्यागं विधाय सद्योऽन्तःकरणात्मशुद्धिः सम्पादनीया ॥९॥
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MATA SAVITA JOSHI

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Connotation: - जी माणसे मोक्षाची इच्छा धरतात त्यांनी विद्वानांचा संग व धर्माचे अनुष्ठान करावे. अधर्माचा त्याग करून ताबडतोब अंतःकरण व आत्म्याची शुद्धी करावी. ॥ ९ ॥