न जा॒मये॒ तान्वो॑ रि॒क्थमा॑रैक्च॒कार॒ गर्भं॑ सनि॒तुर्नि॒धान॑म्। यदी॑ मा॒तरो॑ ज॒नय॑न्त॒ वह्नि॑म॒न्यः क॒र्ता सु॒कृतो॑र॒न्य ऋ॒न्धन्॥
na jāmaye tānvo riktham āraik cakāra garbhaṁ sanitur nidhānam | yadī mātaro janayanta vahnim anyaḥ kartā sukṛtor anya ṛndhan ||
न। जा॒मये॑। तान्वः॑। रि॒क्थम्। आ॒रै॒क्। च॒कार॑। गर्भ॑म्। स॒नि॒तुः। नि॒ऽधान॑म्। यदि॑। मा॒तरः॑। ज॒नय॑न्त। वह्नि॑म्। अ॒न्यः। क॒र्ता। सु॒ऽकृतोः॑। अ॒न्यः। ऋ॒न्धन्॥
SWAMI DAYANAND SARSWATI
फिर उसी विषय को अगले मन्त्र में कहा है।
SWAMI DAYANAND SARSWATI
पुनस्तमेव विषयमाह।
हे मनुष्यो जो जामये तान्वो रिक्थं नारैक् सनितुर्निधानं गर्भं चकार अन्यो वह्निमिव यद्यन्य ऋन्धन्त्सुकृतोः कर्त्ता भवेत्तं मातरो जनयन्त ॥२॥
MATA SAVITA JOSHI
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