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महि॒ क्षेत्रं॑ पु॒रुश्च॒न्द्रं वि॑वि॒द्वानादित्सखि॑भ्यश्च॒रथं॒ समै॑रत्। इन्द्रो॒ नृभि॑रजन॒द्दीद्या॑नः सा॒कं सूर्य॑मु॒षसं॑ गा॒तुम॒ग्निम्॥

English Transliteration

mahi kṣetram puru ścandraṁ vividvān ād it sakhibhyaś carathaṁ sam airat | indro nṛbhir ajanad dīdyānaḥ sākaṁ sūryam uṣasaṁ gātum agnim ||

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Pad Path

महि॑। क्षेत्र॑म्। पु॒रु। च॒न्द्रम्। वि॒वि॒द्वान्। आत्। इत्। सखि॑ऽभ्यः। च॒रथ॑म्। सम्। ऐ॒रत्। इन्द्रः॑। नृऽभिः॑। अ॒ज॒न॒त्। दीद्या॑नः। सा॒कम्। सूर्य॑म्। उ॒षस॑म्। गा॒तुम्। अ॒ग्निम्॥

Rigveda » Mandal:3» Sukta:31» Mantra:15 | Ashtak:3» Adhyay:2» Varga:7» Mantra:5 | Mandal:3» Anuvak:3» Mantra:15


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SWAMI DAYANAND SARSWATI

फिर उसी विषय को अगले मन्त्र में कहा है।

Word-Meaning: - हे मनुष्यो ! जो (विविद्वान्) ज्ञाता और (दीद्यानः) प्रकाशमान (इन्द्रः) बिजुली के सदृश सुख का वर्द्धक और दुःख का नाशक (सखिभ्यः) मित्रों के लिये (इत्) ही (महि) बड़ा (पुरु) बहुत (चन्द्रम्) सुवर्ण (क्षेत्रम्) पदार्थों का आधार (चरथम्) गमन वा विज्ञान की (सम्) (ऐरत्) प्रेरणा करे (आत्) उसके अनन्तर (नृभिः) प्रधान जनों के (साकम्) साथ (सूर्य्यम्) सूर्य्य (उषसम्) प्रातःकाल (गातुम्) वाणी वा भूमि और (अग्निम्) अग्नि को (अजनत्) उत्पन्न करे, उसका सदा सत्कार करो ॥१५॥
Connotation: - जैसे विद्या से युक्त बिजुली सूर्य्य भूमि और अग्नि प्रातःकालादि समय में ऐश्वर्य को उत्पन्न कर मित्रों को सुख देते हैं, वैसे ही विद्वान् लोग मनुष्य आदि प्राणियों को सुख देवें ॥१५॥
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SWAMI DAYANAND SARSWATI

पुनस्तमेव विषयमाह।

Anvay:

हे मनुष्या यो विविद्वान् दीद्यान इन्द्र इव सखिभ्य इन्महि पुरुश्चन्द्रं क्षेत्रं चरथं च समैरदान्नृभिः साकं सूर्य्यमुषसं गातुमग्निमजनत्तं सदा सत्कुरुत ॥१५॥

Word-Meaning: - (महि) महत् (क्षेत्रम्) क्षियन्ति निवसन्ति पदार्था यस्मिंस्तत् (पुरु) बहु (चन्द्रम्) सुवर्णम्। अत्र ह्रस्वाच्चन्द्रोत्तरपदे मन्त्र इति सुडागमः। (विविद्वान्) वेत्ता (आत्) (इत्) एव (सखिभ्यः) मित्रेभ्यः (चरथम्) गमनं विज्ञानं या (सम्) सम्यक् (ऐरत्) प्रेरयेत्। अत्र व्यत्ययेन परस्मैपदं बहुलं छन्दसीति शपो लुङ् न। (इन्द्रः) विद्युदिव सुखप्रदो दुःखविदारकः (नृभिः) नायकैः (अजनत्) जनयेत् (दीद्यानः) देदीप्यमानः (साकम्) सह (सूर्य्यम्) सवितारम् (उषसम्) प्रभातम् (गातुम्) वाणीं भूमिं वा (अग्निम्) भौमं पावकम् ॥१५॥
Connotation: - यथा विद्यया सुसंप्रयुक्ता विद्युत्सूर्य्यभूमिपावकाः प्रातरादिसमय ऐश्वर्य्यं जनयित्वा सखीन् सुखयन्ति तथैव विद्वांसो मनुष्यादीन्प्राणिनः सुखयन्तु ॥१५॥
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MATA SAVITA JOSHI

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Connotation: - जशी विद्येने युक्त विद्युत, सूर्य, भूमी व अग्नी प्रातःकाळसमयी ऐश्वर्य उत्पन्न करून मित्रांना सुख देतात, तसेच विद्वान लोकांनी माणसांना सुख द्यावे. ॥ १५ ॥