Go To Mantra

अग्ने॑ तृ॒तीये॒ सव॑ने॒ हि कानि॑षः पुरो॒ळाशं॑ सहसः सून॒वाहु॑तम्। अथा॑ दे॒वेष्व॑ध्व॒रं वि॑प॒न्यया॒ धा रत्न॑वन्तम॒मृते॑षु॒ जागृ॑विम्॥

English Transliteration

agne tṛtīye savane hi kāniṣaḥ puroḻāśaṁ sahasaḥ sūnav āhutam | athā deveṣv adhvaraṁ vipanyayā dhā ratnavantam amṛteṣu jāgṛvim ||

Mantra Audio
Pad Path

अग्ने॑। तृ॒तीये॑। सव॑ने। हि। कानि॑षः। पुरो॒ळाश॑म्। स॒ह॒सः॒। सू॒नो॒ इति॑। आऽहु॑तम्। अथ॑। दे॒वेषु॑। अ॒ध्व॒रम्। वि॒प॒न्यया॑। धाः। रत्न॑ऽवन्तम्। अ॒मृते॑षु। जागृ॑विम्॥

Rigveda » Mandal:3» Sukta:28» Mantra:5 | Ashtak:3» Adhyay:1» Varga:31» Mantra:5 | Mandal:3» Anuvak:2» Mantra:5


Reads times

SWAMI DAYANAND SARSWATI

फिर उसी विषय को अगले मन्त्र में कहा है।

Word-Meaning: - हे (कानिषः) कामना करने योग्य (सहसः) बलयुक्त के (सूनो) पुत्र (अग्ने) बिजुली के सदृश बलयुक्त ! आप (हि) जैसे (विपन्यया) विशेष करके स्तुतियुक्त प्रशंसा सहित बुद्धि वा क्रिया से (तृतीये) तीसरे समय के (सवने) होम आदि कर्म में (अथ) और (देवेषु) विद्वान् वा उत्तम गुणों में (अमृतेषु) नाशरहित जगदीश्वर आदि पदार्थों में (जागृविम्) जागनेवाले (रत्नवन्तम्) बहुत रत्नों से विशिष्ट (आहुतम्) सब प्रकार स्वीकार किये गये (अध्वरम्) अहिंसा आदि स्वरूप धर्मयुक्त व्यवहार और (पुरोडाशम्) रोग के दूर करनेवाले अन्न को (धाः) धारण करो ॥५॥
Connotation: - जो लोग परमेश्वर आदि पदार्थों के विज्ञान से अहिंसा आदि व्यवहार में वर्त्तमान नियमपूर्वक भोजन विहारयुक्त होकर ऐश्वर्य्य की वृद्धि करने की इच्छा करते हैं, वे सब प्रकार सुखी होते हैं ॥५॥
Reads times

SWAMI DAYANAND SARSWATI

पुनस्तमेव विषयमाह।

Anvay:

हे कानिषः सहसः सूनोऽग्ने त्वं हि विपन्यया तृतीये सवनेऽथ देवेष्वमृतेषु जागृविं रत्नवन्तमाहुतमध्वरं पुरोडाशं च धाः ॥५॥

Word-Meaning: - (अग्ने) विद्युदिव बलिष्ठ (तृतीये) (सवने) (हि) यतः (कानिषः) कमनीयस्य (पुरोडाशम्) रोगनिवारकमन्नम् (सहसः) बलवतः (सूनो) अपत्य (आहुतम्) समन्तात्स्वीकृतम् (अथ) अत्र निपातस्य चेति दीर्घः। (देवेषु) विद्वत्सु दिव्यगुणेषु वा (अध्वरम्) अहिंसादिलक्षणं धर्म्यं व्यवहारम् (विपन्यया) विशेषेण स्तुतया प्रशंसितया प्रज्ञया क्रियवा वा (धाः) धेहि (रत्नवन्तम्) बहूनि रत्नानि विद्यन्ते यस्मिँस्तम् (अमृतेषु) नाशरहितेषु जगदीश्वरादिषु पदार्थेषु (जागृविम्) जागरूकम् ॥५॥
Connotation: - ये परमेश्वरादीनां पदार्थानां विज्ञानेनाहिंसादिलक्षणे व्यवहारे वर्त्तित्वा युक्ताहारविहाराः सन्त ऐश्वर्य्यमुन्निनीषन्ति ते सर्वतः सुखिनो जायन्ते ॥५॥
Reads times

MATA SAVITA JOSHI

N/A

Word-Meaning: - N/A
Connotation: - जे लोक परमेश्वराच्या विज्ञानाने अहिंसा इत्यादीचे पालन करून नियमपूर्वक आहार-विहारयुक्त बनून ऐश्वर्याची वृद्धी करण्याची इच्छा बाळगतात ते सर्व प्रकारे सुखी होतात. ॥ ५ ॥