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अ॒ग्निमु॒षस॑म॒श्विना॑ दधि॒क्रां व्यु॑ष्टिषु हवते॒ वह्नि॑रु॒क्थैः। सु॒ज्योति॑षो नः शृण्वन्तु दे॒वाः स॒जोष॑सो अध्व॒रं वा॑वशा॒नाः॥

English Transliteration

agnim uṣasam aśvinā dadhikrāṁ vyuṣṭiṣu havate vahnir ukthaiḥ | sujyotiṣo naḥ śṛṇvantu devāḥ sajoṣaso adhvaraṁ vāvaśānāḥ ||

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Pad Path

अ॒ग्निम्। उ॒षस॑म्। अ॒श्विना॑। द॒धि॒ऽक्राम्। विऽउ॑ष्टिषु। ह॒व॒ते॒। वह्निः॑। उ॒क्थैः। सु॒ऽज्योति॑षः। नः॒। शृ॒ण्व॒न्तु॒। दे॒वाः। स॒ऽजोष॑सः। अ॒ध्व॒रम्। वा॒व॒शा॒नाः॥

Rigveda » Mandal:3» Sukta:20» Mantra:1 | Ashtak:3» Adhyay:1» Varga:20» Mantra:1 | Mandal:3» Anuvak:2» Mantra:1


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SWAMI DAYANAND SARSWATI

अब तृतीय मण्डल के बीसवें सूक्त का आरम्भ है। इसके प्रथम मन्त्र से विद्वान जन कैसे वर्त्तें, इस विषय को कहते हैं।

Word-Meaning: - हे अध्यापक उपदेशक जनो ! जैसे (वह्निः) पदार्थों का धारणकर्त्ता (व्युष्टिषु) प्रकाशकारक क्रियाओं में (अग्निम्) अग्नि (उषसम्) प्रातःकाल (अश्विना) सूर्यचन्द्रमा और (दधिक्राम्) संसार के धारणकारकों के उल्लङ्घनकर्त्ता को (हवते) ग्रहण करता है वैसे (अध्वरम्) हिंसा भिन्न व्यवहार की (वावशानाः) अत्यन्त कामना करते हुए (सजोषसः) समान प्रीति के निर्वाहक (सुज्योतिषः) शोभन उत्तम बुद्धि के प्रकाशों से युक्त (देवाः) विद्वान् आप लोग (उक्थैः) प्रशंसा करने योग्य कर्मों से (नः) हम लोगों के प्रार्थनारूप वचन (शृण्वन्तु) सुनिये ॥१॥
Connotation: - इस मन्त्र में वाचकलुप्तोपमालङ्कार है। जैसे वायु संपूर्ण प्रकाशकारी सूर्य आदि पदार्थों के धारण द्वारा सब जीवों का उपकार करता, वैसे विद्वान् पुरुष सम्पूर्ण जनों के साथ वैर छोड़नारूप अहिंसा धर्म के प्रचार के लिये एकसम्मति से सब संसार का उपकार करें ॥१॥
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SWAMI DAYANAND SARSWATI

अथ विद्वांसः कथं वर्त्तेरन्नित्याह।

Anvay:

हे अध्यापकोपदेशका यथा वह्निर्व्युष्टिष्वग्निमुषसमश्विना दधिक्रां च हवते तथाऽध्वरं वावशानाः सजोषसः सुज्योतिषो देवा भवन्त उक्थैर्नः शृण्वन्तु ॥१॥

Word-Meaning: - (अग्निम्) पावकम् (उषसम्) प्रभातकालम् (अश्विना) सूर्याचन्द्रमसौ (दधिक्राम्) यो धारकान् क्रामति तमश्वम् (व्युष्टिषु) विशेषेण दहन्ति यासु क्रियासु तासु (हवते) आदत्ते (वह्निः) वोढा वायुः (उक्थैः) प्रसंसनीयैः कर्मभिः (सुज्योतिषः) शोभनानि ज्योतींषि प्रज्ञाप्रकाशा येषां ते (नः) अस्मान् (शृण्वन्तु) (देवाः) विद्वांसः (सजोषसः) समानप्रीतिसेवनाः (अध्वरम्) अहिंसनीयं व्यवहारम् (वावशानाः) भृशं कामयमानाः ॥१॥
Connotation: - अत्र वाचकलुप्तोपमालङ्कारः। यथा वायुः सर्वान् सूर्यादीन्प्रकाशकान् पदार्थान्धृत्वा सर्वानुपकरोति तथैव विद्वांसः सर्वैः सह वैरत्यागरूपस्याहिंसाधर्मस्य प्रचारायैकमत्या भूत्वा सर्वं जगदुपकुर्युः ॥१॥
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MATA SAVITA JOSHI

या सूक्तात अग्नी इत्यादी व विद्वान यांच्या गुणांचे वर्णन असल्यामुळे या सूक्ताच्या अर्थाची पूर्व सूक्तार्थाबरोबर संगती जाणली पाहिजे.

Word-Meaning: - N/A
Connotation: - या मंत्रात वाचकलुप्तोपमालंकार आहे. जसा वायू सर्व प्रकाशक सूर्य इत्यादी पदार्थांना धारण करून सर्व जीवांवर उपकार करतो तसे विद्वानांनी संपूर्ण लोकांबरोबर वैर सोडून अहिंसा धर्माच्या प्रचारासाठी सर्व जगावर उपकार करावा. ॥ १ ॥