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ति॒स्रो य॒ह्वस्य॑ स॒मिधः॒ परि॑ज्मनो॒ऽग्नेर॑पुनन्नु॒शिजो॒ अमृ॑त्यवः। तासा॒मेका॒मद॑धु॒र्मर्त्ये॒ भुज॑मु लो॒कमु॒ द्वे उप॑ जा॒मिमी॑यतुः॥

English Transliteration

tisro yahvasya samidhaḥ parijmano gner apunann uśijo amṛtyavaḥ | tāsām ekām adadhur martye bhujam u lokam u dve upa jāmim īyatuḥ ||

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Pad Path

ति॒स्रः। य॒ह्वस्य॑। स॒म्ऽइधः॑। परि॑ऽज्मनः। अ॒ग्नेः। अ॒पु॒न॒न्। उ॒शिजः॑। अमृ॑त्यवः। तासा॑म्। एका॑म्। अद॑धुः। मर्त्ये॑। भुज॑म्। ऊँ॒ इति॑। लो॒कम्। ऊँ॒ इति॑। द्वे इति॑। उप॑। जा॒मिम्। ई॒य॒तुः॒॥

Rigveda » Mandal:3» Sukta:2» Mantra:9 | Ashtak:2» Adhyay:8» Varga:18» Mantra:4 | Mandal:3» Anuvak:1» Mantra:9


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SWAMI DAYANAND SARSWATI

अब अग्नि के विषय को अगले मन्त्र में कहा है।

Word-Meaning: - हे मनुष्यो ! (यह्वस्य) महान् (परिज्मनः) सर्वत्र व्याप्त (अग्नेः) अग्नि की जो (उशिजः) मनोहर (अमृत्यवः) मृत्यु धर्म रहित (तिस्रः) तीन प्रकार बिजुली भूमिगत और सूर्य रूप से स्थित ज्योति (समिधः) सम्यक् प्रदीप्त लपटे हैं वे सबको (अपुनन्) पवित्र करती हैं (तासाम्) उनमें से (उ) ही (एकाम्) एक को (मर्त्ये) मनुष्यलोक में (अदधुः) स्थापन करते हैं (द्वे) शेष दो (भुजम्) पालनेवाली पृथ्वी तथा (लोकम्) देखने योग्य लोक के समूह को (उ) और (जामिम्) जायमान वस्तु मात्र को (उपेयतुः) प्राप्त होती हैं उनको अच्छे प्रकार जानो ॥९॥
Connotation: - जो मनुष्य तीन प्रकार के अग्नि को जान के ऊपर-नीचे स्थित जो प्रयोजन उनको सिद्ध करने को प्रवृत्त हों, तो उनको कोई काम असाध्य न हो ॥९॥
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SWAMI DAYANAND SARSWATI

अथाग्निविषयमाह।

Anvay:

हे मनुष्या यह्वस्य परिज्मनोऽग्नेर्या उशिजोऽमृत्यवस्तिस्रः समिधः सर्वानपुनन् तासामेकां मर्त्येऽदधुर्द्वे भुजं लोकमु जामिमुपेयतुस्ता यथावद्विजानीत ॥९॥

Word-Meaning: - (तिस्रः) त्रिप्रकारकाणि विद्युद्भौमसूर्यरूपेण स्थितानि ज्योतींषि (यह्वस्य) महतः (समिधः) सम्यक् प्रदीप्ताः (परिज्मनः) परितः सर्वतो व्याप्तस्य (अग्नेः) (अपुनन्) (उशिजः) कमनीयाः (अमृत्यवः) मृत्युभयरहिताः (तासाम्) (एकाम्) (अदधुः) (मर्त्ये) मर्त्यलोके (भुजम्) पालिकाम् (उ) वितर्के (लोकम्) द्रष्टव्यम् (उ) (द्वे) (उप) (जामिम्) जायमानम् (ईयतुः) प्राप्नुतः ॥९॥
Connotation: - यदि मनुष्यास्त्रिविधमग्निं विदित्वोपर्यधस्थानि प्रयोजनानि साधयितुं प्रवर्त्तेरँस्तर्हि तेषां किमपि कार्यमसाध्यन्न स्यात् ॥९॥
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MATA SAVITA JOSHI

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Connotation: - जी माणसे तीन प्रकारच्या अग्नीचे प्रयोजन जाणून ते सिद्ध करण्यास प्रवृत्त होतात त्यांना कोणतेही काम असाध्य नसते. ॥ ९ ॥