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पाव॑कशोचे॒ तव॒ हि क्षयं॒ परि॒ होत॑र्य॒ज्ञेषु॑ वृ॒क्तब॑र्हिषो॒ नरः॑। अग्ने॒ दुव॑ इ॒च्छमा॑नास॒ आप्य॒मुपा॑सते॒ द्रवि॑णं धेहि॒ तेभ्यः॑॥

English Transliteration

pāvakaśoce tava hi kṣayam pari hotar yajñeṣu vṛktabarhiṣo naraḥ | agne duva icchamānāsa āpyam upāsate draviṇaṁ dhehi tebhyaḥ ||

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Pad Path

पाव॑कऽशोचे। तव॑। हि। क्षय॑म्। परि॑। होतः॑। य॒ज्ञेषु॑। वृ॒क्तऽब॑र्हिषः। नरः॑। अग्ने॑। दुवः॑। इ॒च्छमा॑नासः। आप्य॑म्। उप॑। आ॒स॒ते॒। द्रवि॑णम्। धे॒हि॒। तेभ्यः॑॥

Rigveda » Mandal:3» Sukta:2» Mantra:6 | Ashtak:2» Adhyay:8» Varga:18» Mantra:1 | Mandal:3» Anuvak:1» Mantra:6


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SWAMI DAYANAND SARSWATI

फिर उसी विषय को अगले मन्त्र में कहा है।

Word-Meaning: - हे (पावकशोचे) अग्नि के समान कान्तिवाले (होतः) दानशील (अग्ने) विद्वान् ! (तव) आपके (हि) ही (क्षयम्) घर को (यज्ञेषु) यज्ञों में (दुवः) सेवन (इच्छमानासः) चाहते हुए (वृक्तबर्हिषः) ऋत्विग्जन (नरः) नायक सर्वशिरोमणि जनों के समान (आप्यम्) जो प्राप्त होने योग्य अग्नि की (उपासते) उपासना करते हैं (तेभ्यः) उनके लिये (द्रविणम्) धन वा यश (धेहि) धरिये ॥६॥
Connotation: - इस मन्त्र में वाचकलुप्तोपमालङ्कार है। हे विद्वन् ! जो तुम्हारे निकट तुम्हारे सेवा करते हुए अग्नि विद्या की याचना करते हैं, उनके प्रति इस विद्या का उपदेश कीजिये, जिससे वे धनाढ्य होवें ॥६॥
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SWAMI DAYANAND SARSWATI

पुनस्तमेव विषयमाह।

Anvay:

हे पावकशोचे होतरग्ने तव हि क्षयं यज्ञेषु दुव इच्छमानासो वृक्तबर्हिषो नर इव य आप्यमग्निमुपासते तेभ्यो द्रविणं त्वं परिधेहि ॥६॥

Word-Meaning: - (पावकशोचे) पावकस्याअग्नेः शोचिर्दीप्तिरिव द्युतिर्यस्य तत्संबुद्धौ (तव) (हि) (क्षयम्) गृहम् (परि) सर्वतः (होतः) दातः (यज्ञेषु) (वृक्तबर्हिषः) ऋत्विजः (नरः) नेतारः (अग्ने) विद्वन् (दुवः) परिचरणम् (इच्छमानासः) (आप्यम्) आप्तुं प्राप्तुं योग्यम् (उप) (आसते) (द्रविणम्) धनं यशो वा (धेहि) (तेभ्यः) ॥६॥
Connotation: - अत्र वाचकलुप्तोपमालङ्कारः। हे विद्वन् ये त्वत्सन्निधौ ये त्वामेव सेवमाना वह्निविद्यां याचते तान् प्रति इमामुपदिश येनैते धनाढ्याः स्युः ॥६॥
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MATA SAVITA JOSHI

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Connotation: - या मंत्रात वाचकलुप्तोपमालंकार आहे. हे विद्वानांनो! जे तुमच्याजवळ राहून तुमची सेवा करतात व अग्नीविद्या शिकण्याची इच्छा करतात, त्यांना या विद्येचा उपदेश करा, ज्यामुळे ते धनाढ्य बनतील. ॥ ६ ॥