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स य॒न्ता विप्र॑ एषां॒ स य॒ज्ञाना॒मथा॒ हि षः। अ॒ग्निं तं वो॑ दुवस्यत॒ दाता॒ यो वनि॑ता म॒घम्॥

English Transliteration

sa yantā vipra eṣāṁ sa yajñānām athā hi ṣaḥ | agniṁ taṁ vo duvasyata dātā yo vanitā magham ||

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Pad Path

सः। य॒न्ता। विप्रः॑। ए॒षा॒म्। सः। य॒ज्ञाना॑म्। अथ॑। हि। सः। अ॒ग्निम्। तम्। वः॒। दु॒व॒स्य॒त॒। दाता॑। यः। वनि॑ता। म॒घम्॥

Rigveda » Mandal:3» Sukta:13» Mantra:3 | Ashtak:3» Adhyay:1» Varga:13» Mantra:3 | Mandal:3» Anuvak:2» Mantra:3


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SWAMI DAYANAND SARSWATI

फिर उसी विषय को अगले मन्त्र में कहा है।

Word-Meaning: - हे मनुष्यो ! (यः) जो (विप्रः) बुद्धिमान् पुरुष (एषाम्) इन विद्या और उत्तमशिक्षायुक्त (यज्ञानाम्) करने योग्य व्यवहारों को और (वः) आप लोगों का (यन्ता) कुमार्ग से निवारणकर्ता (दाता) दानशील (वनिता) माँगनेवाला होवे (तम्) उस (अग्निम्) अग्नि के सदृश प्रकाशमान जन को और उससे प्राप्त हुए (मघम्) अत्यन्त पूजने योग्य धन को, (दुवस्यत) सेवो (सः) वह (हि) जिससे कि अपने आप ही जितेन्द्रिय इससे (सः) वह अपने आपही बुद्धिमान् (अथ) इसके अनन्तर (सः) वह स्वयं दानशील यज्ञों के करने से उत्तम गुणों का माँगनेवाला होवे ॥३॥
Connotation: - हे मनुष्यो ! जो पुरुष अपने आप धर्मात्मा, जितेन्द्रिय, सत्य का प्रचारक, श्रेष्ठगुणों का देने और ग्रहण करनेवाला, स्वभाव का धर्म में प्रवर्त्तनकर्त्ता होवे, उसकी सम्पूर्ण उपायों से सेवा करो ॥३॥
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SWAMI DAYANAND SARSWATI

पुनस्तमेव विषयमाह।

Anvay:

हे मनुष्या यो विप्र एषां यज्ञानां वो युष्माकं च यन्ता दाता वनिता भवेत्तमग्निमिव तस्मात्प्राप्तं मघञ्च दुवस्यत स हि स्वयं जितेन्द्रियः स स्वयं मेधावी सोऽथ स्वयं दाता यज्ञानुष्ठानात् सद्गुणयाचकः स्यात् ॥३॥

Word-Meaning: - (सः) (यन्ता) निग्रहीता (विप्रः) मेधावी (एषाम्) विद्यासुशिक्षान्वितानाम् (सः) (यज्ञानाम्) सङ्गन्तव्यानां व्यवहाराणाम् (अथ) आनन्तर्य्ये। अत्र निपातस्य चेति दीर्घः। (हि) यतः (सः) (अग्निम्) पावकम् (तम्) अग्निवद्वर्त्तमानम् (वः) युष्माकम् (दुवस्यत) सेवध्वम् (दाता) (यः) (वनिता) याचकः (मघम्) परमपूजनीयं धनम् ॥३॥
Connotation: - हे मनुष्या यः स्वयं धर्मात्मा जितेन्द्रियः सत्योपदेष्टा सद्गुणानां दाता ग्रहीता च प्रकृतेर्नियन्ता भवेत्तं सर्वोपायैः सेवध्वम् ॥३॥
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MATA SAVITA JOSHI

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Connotation: - हे माणसांनो! जो माणूस स्वतः धर्मात्मा, जितेन्द्रिय, सत्याचा प्रचारक, श्रेष्ठ गुण देणारा व ग्रहण करणारा, प्रकृतीवर नियंत्रण ठेवणारा असेल त्याची सर्व प्रकारे सेवा करा. ॥ ३ ॥