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आ नो॑ गहि स॒ख्येभिः॑ शि॒वेभि॑र्म॒हान्म॒हीभि॑रू॒तिभिः॑ सर॒ण्यन्। अ॒स्मे र॒यिं ब॑हु॒लं संत॑रुत्रं सु॒वाचं॑ भा॒गं य॒शसं॑ कृधी नः॥

English Transliteration

ā no gahi sakhyebhiḥ śivebhir mahān mahībhir ūtibhiḥ saraṇyan | asme rayim bahulaṁ saṁtarutraṁ suvācam bhāgaṁ yaśasaṁ kṛdhī naḥ ||

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Pad Path

आ। नः॒। ग॒हि॒। स॒ख्येभिः॑। शि॒वेभिः॑। म॒हान्। म॒हीभिः॑। ऊ॒तिऽभिः॑। स॒र॒ण्यन्। अ॒स्मे इति॑। र॒यिम्। ब॒हु॒लम्। सम्ऽत॑रुत्रम्। सु॒ऽवाच॑म्। भा॒गम्। य॒शस॑म्। कृ॒धी॒। नः॒॥

Rigveda » Mandal:3» Sukta:1» Mantra:19 | Ashtak:2» Adhyay:8» Varga:16» Mantra:4 | Mandal:3» Anuvak:1» Mantra:19


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SWAMI DAYANAND SARSWATI

फिर उसी विषय को अगले मन्त्र में कहा है।

Word-Meaning: - हे विद्वान् ! आप (शिवेभिः) मङ्गलमय (सख्येभिः) मित्रों के किये हुए कर्म्मों के साथ (नः) हम लोगों को (आ, गहि) प्राप्त हूजिये (महीभिः) बड़ी-बड़ी (ऊतिभिः) रक्षाओं से (अस्मे) हम लोगों को (सरण्यन्) प्राप्त होते हुए (महान्) बड़े सज्जन आप (सन्तरुत्रम्) दुःख से अच्छे प्रकार तारनेवाले (सुवाचम्) सुन्दर वाणी के निमित्त (यशसम्) कीर्ति करनेवाले (भगम्) सेवन करने योग्य (बहुलम्) बहुत प्रकार के (रयिम्) पुष्कल धन को प्राप्त (नः) हम लोगों को (कृधि) कीजिये ॥१९॥
Connotation: - यदि मनुष्य सुन्दर मित्रों को प्राप्त हो, तो उसको बड़ी लक्ष्मी कैसे न प्राप्त हो ॥१९॥
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SWAMI DAYANAND SARSWATI

पुनस्तमेव विषयमाह।

Anvay:

हे विद्वँस्त्वं शिवेभिः सख्येभिः सह नोऽस्मानागहि महीभिरूतिभिरस्मेऽस्मान् सरण्यन्महान् सन्तरुत्रं सुवाचं यशसं भागं बहुलं रयिम्प्राप्तान्नः कृधि ॥१९॥

Word-Meaning: - (आ) (नः) (अस्मान्) (गहि) प्राप्नुहि (सख्येभिः) सखिभिः कृतैः कर्म्मभिः (शिवेभिः) मङ्गलमयैः (महान्) (महीभिः) महतीभिः (ऊतिभिः) रक्षाभिः (सरण्यन्) प्राप्नुवन् (अस्मे) अस्मान् (रयिम्) श्रियम् (बहुलम्) पुष्कलम् (सन्तरुत्रम्) दुःखात् सम्यक्तारकम् (सुवाचम्) सुष्ठुवाग्निमित्तम् (भागम्) भजनीयम् (यशसम्) कीर्त्तिकारकम् (कृधि) कुरु। अत्र संहितायामिति दीर्घः। (नः) अस्मान् ॥१९॥
Connotation: - यदि मनुष्यः सुमित्राणि प्राप्नुयात्तर्हि तं महती श्रीः कथं न प्राप्नुयात् ॥१९॥
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MATA SAVITA JOSHI

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Connotation: - माणसाला चांगले मित्र मिळाल्यास लक्ष्मी का प्राप्त होणार नाही? ॥ १९ ॥