नि दु॑रो॒णे अ॒मृतो॒ मर्त्या॑नां॒ राजा॑ ससाद वि॒दथा॑नि॒ साध॑न्। घृ॒तप्र॑तीक उर्वि॒या व्य॑द्यौद॒ग्निर्विश्वा॑नि॒ काव्या॑नि वि॒द्वान्॥
ni duroṇe amṛto martyānāṁ rājā sasāda vidathāni sādhan | ghṛtapratīka urviyā vy adyaud agnir viśvāni kāvyāni vidvān ||
नि। दु॒रो॒णे। अ॒मृतः॑। मर्त्या॑नाम्। राजा॑। स॒सा॒द॒। वि॒दथा॑नि। साध॑न्। घृ॒तऽप्र॑तीकः। उ॒र्वि॒या। वि। अ॒द्यौ॒त्। अ॒ग्निः। विश्वा॑नि। काव्या॑नि। वि॒द्वान्॥
SWAMI DAYANAND SARSWATI
फिर उसी विषय को अगले मन्त्र में कहा है।
SWAMI DAYANAND SARSWATI
पुनस्तमेव विषयमाह।
योऽमृतो विद्वान् दुरोणे मर्त्यानां घृतप्रतीकोऽग्निरुर्विया व्यद्यौदिव विश्वानि विदथानि काव्यान्यधीत्य सर्वहितं साधन् मर्त्यानां राजा निषसाद सोऽस्माभिः सत्कर्त्तव्यः ॥१८॥
MATA SAVITA JOSHI
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