राजा॑ना॒वन॑भिद्रुहा ध्रु॒वे सद॑स्युत्त॒मे। स॒हस्र॑स्थूण आसाते॥
rājānāv anabhidruhā dhruve sadasy uttame | sahasrasthūṇa āsāte ||
राजा॑नौ। अन॑भिऽद्रुहा। ध्रु॒वे। सद॑सि। उ॒त्ऽत॒मे। स॒हस्र॑ऽस्थूणे। आ॒सा॒ते॒ इति॑॥
SWAMI DAYANAND SARSWATI
फिर उसी विषय को कहते हैं।
SWAMI DAYANAND SARSWATI
पुनस्तमेव विषयमाह।
हे अनभिद्रुहा राजानौ युवां ध्रुवं उत्तमे सहस्रस्थूणे सदसि यौ मित्रावरुणावासाते तौ विजानीतम् ॥५॥
MATA SAVITA JOSHI
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